________________ किं सर्वोऽपि?, न, इत्याह- अनुपयुक्तः तदुपयोगशून्यः। किं विशिष्ट :?, इत्याह- मङ्गलशब्दानुवासितः मङ्गलशब्दार्थज्ञानावरणक्षयोपशमसंस्कारानुरञ्जितमनाः, तज्ज्ञानलब्धिमानिति यावत् / ननु यदि तज्ज्ञानलब्धिमांस्तर्हि किमिति द्रव्यम्?, इत्याह- 'तन्नाणेत्यादि' तज्ज्ञानलब्धिसहितोऽपि मङ्गलशब्दार्थज्ञानावरणक्षयोपशमवानपि, नोपयुक्तस्तत्र मङ्गलशब्दार्थे यस्मादसौ, 'तो त्ति' तस्माद् द्रव्यमङ्गलम्। इदमुक्तं भवति- 'अनुपयोगो द्रव्यम्' इति वचनाद् मङ्गलशब्दार्थं जानन्नपि तत्रानुपयुक्तस्तं प्ररूपयंस्तज्ज्ञानलब्धिसहितोऽप्यागमतो द्रव्यमङ्गलमेव // इति गाथार्थः॥२९॥ अत्राह कश्चित्- ननु कोऽयमागमो यमाश्रित्य द्रव्यमङ्गलमिदमभिधीयते?। अत्रोच्यते- मङ्गलशब्दार्थज्ञानमत्राऽऽगमः। तर्हि प्रेर्यते, किम्?, इत्याह जइ नाणमागमो तो कह दव्वं दव्वमागमो कह णु?। आगमकारणमाया देहो सद्दो यतो दव्वं // 30 // आश्रय कर (अर्थात् उसे दृष्टि में रखकर निरूपण करें तो) -उक्त कथन का सम्बन्ध गाथा के अंत में स्थित ‘दव्वं' पद से है (अतः उक्त कथन के बाद 'वह द्रव्यमङ्गल है' यह कथन जुडेगा और तब वाक्य पूर्ण होगा)। (प्रश्न-) (द्रव्यमङ्गल से विवक्षित) वह कौन-सा पदार्थ (प्रकृत में) है? इस (प्रश्न के समाधान के लिए कहा –वक्ता / यानी मङ्गल-शब्दार्थ की प्ररूपणा करने वाला (द्रव्यमङ्गल है)। (प्रश्न-) क्या सभी मङ्गलशब्दार्थ-प्ररूपक द्रव्यमङ्गल हैं? (उत्तर-) नहीं। इसीलिए (गाथा में) कहा -अनुपयुक्तः / अर्थात् (सम्बन्धित) उपयोग से रहित / (प्रश्न-) पुनः वह (द्रव्यमङ्गल रूप वक्ता) कैसा है? (उत्तर में) कहा -मङ्गलशब्दानुवासित ।यानी मङ्गलशब्दार्थ-सम्बन्धी ज्ञानावरण के क्षयोपशमसंस्कार से अनुरञ्जित मन वाला, और तत्सम्बन्धी ज्ञान-लंब्धि से युक्त भी। (प्रश्न-) यदि वह सम्बन्धित ज्ञान-लब्धि से युक्त है तो वह 'द्रव्य' क्यों है? (उत्तर में) कहा -तज्ज्ञानलब्धि-सहितः / अर्थात् सम्बन्धित ज्ञान-लब्धि से युक्त होने पर भी, तथा मङ्गलशब्दार्थ-सम्बन्धी ज्ञानावरण के क्षयोपशम से युक्त होने पर भी, चूंकि वह मङ्गल शब्दार्थ में उपयोगरहित है। तस्मात् इति / अर्थात्, इसलिए वह द्रव्यमङ्गल है। कहने का भाव यह है कि 'अनुपयोगो द्रव्यम'-इस कथन के अनुसार, मङ्गलशब्दार्थ को जानता हुआ भी, चूंकि उसमें उपयोगरहित है, इसलिए उस (मङ्गल-शब्दार्थ) की प्ररूपणा करने वाला, तत्सम्बन्धी ज्ञान-लब्धि से संपन्न होने पर भी 'आगमतः द्रव्यमङ्गल' ही है || यह गाथा का अर्थ पूर्ण हुआ // 29 // यहां किसी ने प्रश्न किया- आखिर यह 'आगम' क्या है, जिसके आश्रय से 'द्रव्यमङ्गल' का अभिधान (निरूपण) किया जा रहा है? (30) जह नाणमागमो तो कह दव्वमागमो कह णु। आगमकारणमाया देहो सद्दो यतो दव्वं || ----- विशेषावश्यक भाष्य - - - - ---- 57 - AM Ba -----