________________ जइ किंचि पमाएणं न सुटू भे वट्टिअं मए पुव्विं। तं भे! खामेमि अहं निस्सल्लो निक्कसाओ य॥१॥ [यदि किञ्चित् प्रमादेन न सुष्ठु युष्माकं वर्तितं मया पूर्वम् / तं भगवन् ! क्षमयाम्यहं निःशल्यो निष्कषायश्च // 1 // आणंदमंसुपायं कुणमाणा ते वि भूमिगयसीसा। खामंति ते जहरिहं जहारिहं खामिआ तेणं // 2 // आनन्दाश्रुपातं कुर्वाणास्तेऽपि (साधवः) भूमिगतशीर्षाः। क्षमयन्ति ते यथार्ह क्षमितास्तेन // 2 // खामेंतस्स गुणा खलु निस्सल्लयविणयदीवणा मग्गे। लाघवियं एगत्तं अप्पडिबन्धो अजिणकप्पो // 3 // क्षमयतश्च गुणाः खलु निःशल्यक-विनयदीपना मार्गे। लाघवमेकत्वमप्रतिबन्धश्च जिनकल्पः॥ 3 // ] निजपदस्थापितसूरिप्रभृतीनामनुशास्तिं प्रयच्छति, तद्यथापालेज सगणमेयं अप्पडिबद्धो य होज सव्वत्थ। एसो हु परंपरओ तुमं पि अंते कुणसु एवं॥१॥ [पालयेः स्वगणमेतमप्रतिबद्धश्च भवेः सर्वत्र। एष खलु परम्परकस्त्वमप्यन्ते कुर्या एवम् // 1 // पुव्वपउत्तं विणयं मा हुपमाएहि विणयजोग्गेसु। जो जेण पगारेणं उवजुजइ तं च जाणाहि॥२॥ पूर्वप्रवृत्तं विनयं मा खलु प्रमादयेः विनययोग्येषु / यो येन प्रकारेण उपयुज्यते तं च जानीहि // 2 // 'प्रमादवश पूर्व में मेरा आपके साथ अच्छा व्यवहार नहीं रहा हो, उसके लिए मैं, शल्यहीन व कषायरहित होकर, आप सब से क्षमा मांगता हूं (और क्षमा करता हूं ) // 1 // इस प्रकार, यथायोग्य रीति से क्षमा-याचना करने पर, वे (संघस्थ साधु आदि) भी, सानन्द अश्रुपात करते हुए, अपने सिर को भूमि पर झुकाते हुए, यथायोग्य रीति से क्षमा मांगते हैं (और क्षमा करते हैं) // 2 // क्षमा करने व मांगने वाले साधक को उसके मोक्षमार्ग में निःशल्यता, विनय, मार्ग-प्रगति, एकत्व, लघुता और जिनकल्प में अप्रतिबन्ध (निर्विघ्नता)- ये गुण निश्चित रूप से प्राप्त होते हैं // 3 // इसके बाद, अपने पद पर प्रतिष्ठापित आचार्य (सूरि) आदि को वह अनुशासन (शिक्षा) प्रदान करता है "आप अपने गण का पालन-पोषण करते रहें, और सर्वथा निरासक्त रहें। और अन्त में (आप भी मेरी तरह आचार्य-शिष्य की क्रमिक परम्परा को अव्यवच्छिन्न रूप से बनाये रख कर, अंत में जिनकल्प को स्वीकार करने की) इस परम्परा का पालन करें।१॥" ___ “जो विनययोग्य हों, उनके प्रति पूर्वपरम्परानुरूप विनय-भाव करने में कभी प्रमाद न करें और जो जिस कार्य के लिए उपयुक्त (योग्य) हो, उसे उसी रूप में नियोजित करना- इसे भी जानें (ध्यान में रखें)" || Na 26 -------- विशेषावश्यक भाष्य ----------