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:: प्राचीन गूर्जर मंत्री और महामात्य पृथ्वीपाल ::
श्री महातीर्थ में विमलवसहि
श्री शत्रुंजय महातीर्थ की सर्व दूँकों एवं मन्दिरों में श्री आदिनाथ ट्रॅक का महत्व सर्वाधिक है। श्री आदिनाथदूँक को मोटी ट्रॅक और दादा की टँक भी कहते हैं। इस ट्रॅक का प्रथम द्वार रामपोल है । रामपोल के पश्चात् ही विमलवसहि का स्थान है । वाघणपोल के द्वार से हस्तिपोल के द्वार तक के भाग को विमलवसहि कहते हैं । विमलवसहि के दोनों पक्षों पर अनेक देवालय और कुलिकाओं की हारमाला है । विमलशाह द्वारा विनिर्मित यहाँ इस समय न ही कोई देवालय ही है और न ही कोई अन्य देवस्थान | श्री शत्रुंजयमहातीर्थ पर यवन - श्राततायियों के अनेक बार आक्रमण हुये हैं और अनेक जिनालय नष्ट-भ्रष्ट किये गये हैं। पश्चात् उनके स्थानों पर नवीन २ जिनालयों का निर्माण होता रहा है। विमलवसहि नाम ही अब महाबलाधिकारी दंडनायक विमलशाह का नाम और उसके द्वारा महातीर्थ की की गई महान् सेवाओं का स्मरण कराता है ।
महामात्य धवल का परिवार और उसका यशस्वी पौत्र महामात्य पृथ्वीपाल
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महामति नेढ़ के धवल और लालिग नामक दो प्रतिभाशाली पुत्र थे । ज्येष्ठ पुत्र धवल धर्मात्मा, विवेकवान, गम्भीर, दयालु, महोपकारी, साधु एवं साध्वियों का परम भक्त तथा बुद्धिमान एवं रूपवान पुरुष था । मन्त्री धवल और उसका गुर्जरसम्राट् कर्णदेव के यह प्रसिद्ध मन्त्रियों में से था धवल के आनन्द नामक महामति पुत्र था ।
पुत्र मन्त्री श्रानन्द
आनन्द भी महाप्रभावशाली पुरुष था। पिता के सदृश महामति, गुणवान एवं धर्मानुरागी था । वह गूर्जरसम्राट् सिद्धराज जयसिंह के प्रति प्रसिद्ध मन्त्रियों में था । आनन्द के दो स्त्रियाँ थीं । पद्मावती और सलूखा । दोनों स्त्रियाँ पतिपरायणा एवं धर्मानुरागवती थीं । पद्मावती के पृथ्वीपाल नामक अति प्रसिद्ध पुत्र उत्पन्न हुआ । सगा के नाना नामक पुत्र था । पृथ्वीपाल का विवाह नामलदेवी नामक अति रूपवती कन्या से तथा नाना का विवाह त्रिभुवनदेवी नामक कन्या से हुआ । पृथ्वीपाल के जगदेव और धनपाल नामक दो पुत्र उत्पन्न हुये और
जै० ती० इति ० पृ० ५२ से ६३.
अ० प्रा० जे० ले० सं० भाग २ ले० ५१, पृ० २६ श्लोक ८ में लालिग का नाम आया है।
अह ने महामण सिरिकञ्चएवरज्जमि । जानो निजय सधवलियमुक्णो घवलो ति सचिविंदो ॥ तचो रेवतक पसाय संपत्त उत्तिमसमिद्धी । हा विदेव यास निहाल मिषट्टउषसन्गो ॥ जयसिंहदेवरज्जै गुरुगुणक्म उतमाहप्पी । जाओ मुवाणंदी आणंदो नाम सन्चिविंदो ॥ D. C. M. P. (G. O. V, LXX VI.) P. 255 (चन्द्रप्रमस्वामि-चरित्र) Dhawalaka, the son of Vimala's brother Mantri Nedha, was also a minister of his (Karna ). G. G. Part III VI. P.157.