Book Title: Pragvat Itihas Part 01
Author(s): Daulatsinh Lodha
Publisher: Pragvat Itihas Prakashak Samiti

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Page 686
________________ बड ] :: विभिन्न प्रान्तों में प्रा०ज्ञा० सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें - गूर्जर - काठियावाड़ और सौराष्ट्र-संभात :: [:४७ श्री नवपल्लवपार्श्वनाथ - जिनालय में ( बोलपीपल) प्र० आचार्य प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि लक्ष्मीसागर - पत्तन में प्रा० ज्ञा० श्रे० जूठा भा० चकूदेवी के पुत्र वेलचंद्र रि ने स्वभा० धनादेवी, भ्रातृ भीमराज, मांजा, पासादि कुटुम्ब के सहित भ्रातृ पोपट के श्रेयोर्थ. प्रा० ज्ञा० ० देपा ने भार्या राजूदेवी, पु० गांगा भा० सूदेवी पुत्र गंगराज भा० माकणदेवी प्रमुखकुटुम्ब के श्रेयोर्थ. प्र० वि० संवत् सं० १५२१ वै० शु० ३ सं० १५२६ माघ कृ. १३ सोम ० सं० १५६४ ज्ये ० शु० १२ शुक्र० प्र० प्रतिमा संभवनाथ तपा० अजितनाथ बृ० तपा० लब्धि- वालीबवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० गदा भा० हली के पुत्र भाष ने स्वभा० अहवदेवी, पुत्र वरूथा, सरूच्या प्रमुखकुटुम्ब के सहित स्वश्रेयोर्थ. सागरसूरि श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ - जिनालय में सं० १५६५ माघ श्रादिनाथ तपा० विजयधन- प्रा० ज्ञा० श्रे० जसराज भा० शृंगारदेवी । शु० १२ सूरि शु० ११ सं० १५०६ मा० शु० १० रवि ० वासुपूज्य बृ० तपा० विजयरत्नमूरि सं० १३५० वै० पार्श्वनाथ विमलचन्द्रसूरि सं० १३१५ फा० कृ० ७ शनि ० श्री संभवनाथ - जिनालय में (बोलपीपल) अनंतनाथ तपा० उदयनंदिसूरि सं० १५२६ ज्ये० संभवनाथ श्रागमगच्छीय कृ० १ शुक्र ० अमररत्नसूर सं० १५४६ आषा. अजितनाथ श्रागमगच्छीय शु० ३ सोम ० विवेकरत्नसूर पार्श्वनाथ प्रा० शा ० महं० जगसिंह भार्या शृंगारदेवी । उनके श्रेयोर्थ. चन्द्रगच्छीययशोभद्रसूर प्रा० शा ० महं० घठ (१) की स्त्री देईदेवी के पुत्र सं ० हेमराजं ने स्वभा० कपूरीदेवी, भ्रातृ सं० सुधा मा० कमलादेवी पुत्र पूजा आदि कुटुम्बसहित सर्वश्रेयोर्थ. कावासी प्रा० शा ० ० भीमराज ने स्त्री मटकूदेवी पुत्र डुङ्गर, देवराज, हेमराज, पंचायण, जिनदास, पुत्री पुतली के सहित. शीयालवट (काठियावाड़) के श्री जिनालय में पेथड़संतानी • पर्वत की स्त्री लखीदेवी के पुत्र फोका की स्त्री देमाईदेवी के पुत्र विजयकर्ण ने माता के श्रेयोर्थ. मधुमती के श्री महावीर जिनालय में प्रा० ज्ञा० श्रे० आम्रदेव के पुत्र सपाल के पुत्र गांधी चिव्वा (१) ने स्वश्रेयोर्थ. जै० घा० प्र० ले० सं० भा० २ ले ० १०६७, १०६४, १०६६, ११२५, ११३४, ११४८, ११४१, ११३६ । बै० ले० सं० भा० २ ले० १७७६ ।

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