Book Title: Pragvat Itihas Part 01
Author(s): Daulatsinh Lodha
Publisher: Pragvat Itihas Prakashak Samiti

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Page 691
________________ ४६२] .. प्राग्वाट-इतिहास: [तृतीय अजीमगंज के श्री सुमतिनाथ-जिनालय में प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० भाचार्य प्रा. ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १४६६ माघ पार्श्वनाथ श्रीपरि आंचलगच्छीय प्रा० ज्ञा० श्रे० उदा की भार्या चत (१) के शु०६ रवि० पुत्र जोला भार्या डमणादेवी के पुत्र मुंडन ने भ्राता के श्रेयोर्थ. श्री पंचायती नेमिनाथ-जिनालय में सं० १५५३ वै० शांतिनाथ तपा० हेमविमल- सिस्त्रावासी प्रा० ज्ञा० श्रे० खेता भार्या मदी के पुत्र श्रे० सूरि, श्री कमल- भोजराज ने स्वभा० राजूदेवी, प्रात् राजा, रत्ना, देवा के कलशसरि सहित स्वपूर्वजश्रेयोर्थ. बालूचर के श्री विमलनाथ-जिनालय में । सं० १५१५ वै० मुनिसुव्रत तपा० रत्नशेखर- अतरीग्राम में प्रा. ज्ञा० ऋ० पासराज भा० संसारदेवी सूरि के पुत्र श्रे० कर्मसिंह ने स्वभा० सारूदेवी, पुत्र गोविन्द, गोपराज, हापराज आदि कुटुम्बसहित भ्रातृज महिराज के श्रेयोर्थ. श्री सम्भवनाथ-जिनालय में सं० १५२७ ज्ये. वासुपूज्य खरतरगच्छीय- प्रा०ज्ञा० श्रे० गांगा, मुजा पुत्र महिराज की भा० रमाईदेवी शु० ८ सोम० जिनहर्षसरि नामा श्राविका ने श्रेयोर्थ. सं० १५६१ वै० आदिनाथ सौभाग्यनन्दि- पत्तनवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० पान्हा पुत्र पांचा भार्या देऊदेवी कृ०६ शुक्र० सरि के पुत्र नाथा भार्या नाथीदेवी के पुत्र विद्याधरण ने पुत्र हंसराज, हेमराज, भीमराज, पुत्री इन्द्राणी आदि कुटुम्ब सहित श्रेयोर्थ. श्री किरतचन्द्रजी सेठिया के गृहजिनालय में (चावलगोला) सं० १५३३ वै० वासुपूज्य तपा० लक्ष्मीसार- प्रा० ज्ञा० श्रे० अपा की स्त्री आन्हीदेवी के पुत्र भरसिंह कृ.४ सूरि ने स्वस्त्री और पुत्र साल्हादि के सहित स्वश्रेयोर्थ. श्री आदिनाथ-जिनालय में (कठगोला) सं० १५३० माघ सम्भवनाथ- तपा० लक्ष्मीसागर- सांबोसणवासी प्रा. ज्ञा० श्रे० सोनमल की स्त्री माऊदेवी शु० ४ शुक्र० पाषाण-प्रतिमा सूरि के पुत्र नारद के भ्राता विरुआ ने स्वस्त्री वील्हणदेवी, पुत्र देवधर, मेला, साईयादि कुटुम्बीजनों के सहित स्वश्रेयोर्थ. श्री जगतसेठजी के जिनालय में (महिमापुर) सं० १५२२ माष कुन्थुनाथ सा० पू० विजय. प्रा. ज्ञा. श्रे. जसराज भार्या सरिदेवी के पुत्र सर्वण ने कु०१गुरु० चन्द्रसूरि स्वस्त्री रूपादेवी, माता-पिता और स्वश्रेयोर्थ. जै० ले० सं०भा०१ले०२,१५, ४०, ५२, ५४, ५८,७०,७२।

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