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खण्ड ]
:: प्राग्वाटज्ञातीय कुछ विशिष्ट व्यक्ति और कुल - संघवी श्री भीम और सिंह ::
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वंश - परिचय
जब इङ्गरपुरराज्य का स्वामी महारावल गिरधरदास का देहान्त हो गया तो वि० सं० १७१७ के लगभग महारावल गिरधरदास के पुत्र जसवंतसिंह सिंहासनारूढ़ हुये । महारावल जसवंतसिंह का राज्यकाल लगभग वि० सं० १७४८ तक रहा। इनके राज्यकाल में आसपुर नामक नगर में जो इङ्गरपुर से लगभग ८ आठ कोश के अंतर पर विद्यमान है, प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० उदयकरण रहते थे । श्रे• उदयकरण की पतिव्रता पत्नी का नाम अंबूदेवी था । सौभाग्यवती अंबूदेवी की कुक्षी से भीम और सिंह नामक दो यशस्वी पुत्रों का जन्म हुआ ।
उन दिनों में श्रासपुर के ठाकुर अमरसिंह थे । ठाकुर अमरसिंह के पुत्र का नाम अजबसिंह था । श्रे० ठाकुर अमरसिंह का प्रधान था और ठाकुर साहब तथा कुंवर अजबसिंह दोनों पिता-पुत्रों का ० भीम में अति विश्वास था और वे दोनों भ्राताओं का बड़ा मान करते थे । भीम और सिंह बड़े ही श्रेष्ठिवर्ण्य भीम और सिंह धनाढ्य श्रावक थे । दोनों भ्राता बड़े ही गुणी, दानवीर एवं सज्जनात्मा थे। साधु एवं संतों के परम भक्त थे। जिनेश्वरदेव के परमोपासक थे । उन्होंने अनेक छोटे-बड़े संघ निकाल कर सघर्मी बंधुओं की अच्छी संघभक्ति की थी। दीन और दुखियों की वे सदा सहायता करते रहते थे ।
भीम के दो स्त्रियाँ थीं, रंभादेवी और सुजाणदेवी तथा ऋषभदास, वल्लभदास और रत्नराज नामक तीन थे। सिंह की स्त्री का नाम हरबाई था, जिसके सुखमल नामा पुत्री थी। इस प्रकार दोनों भ्राता परिवार, धन, मान की दृष्टि से सर्व प्रकार सुखी थे । वागड़देश में उनकी कीर्त्ति बहुत दूर २ तक प्रसारित हो रही थी । एक वर्ष दोनों भ्राताओं ने केसरियातीर्थ की संघयात्रा करने का दृढ़ विचार किया । फलतः उन्होंने वागड़ देश में, मालवा में, मेवाड़ में अनेक ग्राम-नगरों के संघों को एवं प्रतिष्ठित पुरुषों और सद्गृहस्थों को तथा अपने संबंधियों को निमंत्रित किया। शुभ दिन एवं शुभ मुहूर्त में आसपुर संघ निकल श्री केसरियातीर्थ की संघयात्रा कर साबला नामक ग्राम में पहुँचा । स्थल २ पर पड़ाव करता हुआ, मार्ग के ग्रामों एवं नगरों में जिनालयों के दर्शन, प्रभुपूजन करता हुआ, योग्य भेंट अर्पित करता हुआ अनुक्रम से श्री धुलेवा नगर में पहुँचा और श्री केसरियानाथ की प्रतिमा के दर्शन करके अति ही आनंदित हुआ ।
संघपति भीम और सिंह ने प्रभुपूजन अनेक अमूल्य पूजनसामग्री लेकर किया तथा भिक्षुकों को दान और चुधितों को भोजन और वस्त्रहीनों को वस्त्रादि देकर उन्हें तृप्त किया । चैत्र शुक्ला पूर्णिमा के दिन दोनों भ्राताओं ने इतना दान दिया कि दान लेनेवालों का सदा के लिए दारिद्र्य ही दूर हो गया । इस प्रकार प्रभुचरणों में दोनों आताओं ने अपनी न्यायोपार्जित सम्पति का सूपयोग किया। समस्त धुलेवा नगर को निमंत्रित करके बहुत बड़ा साधर्मिक वात्सल्य किया। संघ वहां से पांच दिन ठहर कर पुनः आसपुर की ओर रवाना हुआ संघपति जब आसपुर के समीप में सकुशल संघयात्रा करके पहुँचा तो ग्रामपति एवं ग्राम की प्रजा ने संघ का एवं संघपति का भारी स्वागत किया और राजशोभा के साथ में संघ का नगरप्रवेश करवाया । संघपति भीम और सिंह ने मासपुर में बड़ा भारी साधर्मिक वात्सल्य किया, जिसमें ठाकुर साहब का राजवंश, राजकर्मचारी, दास, दासी डूंगरपुर जिसका नाम गिरिपुर भी है के राज्य में एवं बांसवाड़ाराज्य भी वृद्धजन संघपति भीम और सिंह की उदारता की कहानियाँ कहते हैं । डूंगरपुरराज्य का इति० पृ० ११५.
एवं संपूर्ण नगर के सर्व कुल निमंत्रित थे। के अधिकांश नगरों में व श्रासपुर में आज
ऐ० रा० सं० भा० १५०३०, ४७, ६१.