Book Title: Pragvat Itihas Part 01
Author(s): Daulatsinh Lodha
Publisher: Pragvat Itihas Prakashak Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 689
________________ ४.] :: प्राम्बाट-इतिहास: [तृतीय श० मद्रास के साहूकारपेठ के श्री जिनालय में प्र० वि संवत् प्र० प्रतिमा प्र. प्राचार्य प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १५२१ ज्ये० पद्यप्रम- तपा० लक्ष्मीसागर- प्रा० ज्ञा० सं० अर्जुन की स्त्री टवकूदेवी के पुत्र सं० वस्तीचोवीसी सरि मल ने स्वस्त्रीरामादेवी, पुत्र सं० चांदा स्त्री जीविणीदेवी पुत्र लींबी, भाका आदि प्रमुख परिजनों के सहित. आगरा के श्री सीमंधरस्वामि-जिनालय में (रोशनमोहल्ला) सं० १५३६ ज्ये० आदिनाथ- तपा०लक्ष्मीसागर- सिरोही में प्रा० ज्ञा० सं० पूजा भार्या कर्मादेवी के पुत्र १०५ चोवीशी सरि नरसिंह भार्या नायकदेवी के पुत्र खीमचन्द्र ने भार्या हर्षा देवी, पुत्र पर्वत, गुणराज मादि के सहित. श्री गौड़ी-पार्श्वनाथ-जिनालय में (मोतीकटरा) सं० १५५४ माघ सुविधिनाथ- तपा० हेमविमल- प्रा. ज्ञा० श्रे० अमा ने भार्या लक्ष्मीदेवी, पुत्र मान्हण क. २ पंचतीर्थी सूरि भार्या साम्हणदेवी पुत्र नरवद आदि के सहित स्वश्रेयोर्थ. श्री शान्तिनाथ-जिनालय में (नमकमण्डी) सं० १५५४ माघ सुपार्श्वनाथ- श्रीपरि प्रा० ज्ञा० संघवी सिद्धराज सुश्रावक ने स्वभार्या ठणकदेवी, कु० २ गुरु० पंचतीर्थी पुत्र कृपा भार्या रम्भादेवी प्रमुखकुटुम्ब के सहित. लखनऊ के श्री पद्मप्रभस्वामि-जिनालय में (चूड़ीवालीगली) सं० १५१० वै० सुविधिनाथ तपा० रत्नशेखर- प्रा. ज्ञा० श्राविका राजमती के पुत्र सरमा ने स्वभार्या कु. ५ पंचतीर्थी सूरि चंपादेवी एवं पुत्र के सहित स्वश्रेयोर्थ. श्री आदिनाथ-जिनालय में (चूड़ीवालीगली) सं० १५७७ माघ शांतिनाथ पार्श्वचन्द्रसूरि प्रा० ज्ञा० श्रे० कईखा, भा० वान् , पुत्र मूठा, राला,रांगा शु० ५ बुध० लवरद मा० जीविणी, विरु, मानू, पुत्र घेवर, तेजा, सहिजा के सहित पिता-माता के श्रेयोर्थ. श्री महावीर-जिनालय में पंचतीर्थयाँ (सुन्धिटोला) सं० १५२४ वै० शांतिनाथ तपा० लक्ष्मीसागर-प्रा० ज्ञा. श्रे. धना भा० रांनू के पुत्र सं० वेला भार्या जीविणी के पुत्र सं० समधर संग्राम ने स्वश्रेयोर्थ. सं० १५२५ माघ संभवनाथ भेवग्राम में प्रा० ज्ञा. श्रे. देवसिंह भार्या देल्हणदेवी के पुत्र विजयसिंह ने भार्या वीजलदेवी,पुत्र सांडादि के सहित. सं० १५२६ वै० विमलनाथ मृण्डहटावासी प्राना० श्रे० नरसिंह भार्या शंभूदेवी के पुत्र वड्या ने स्वभा० रहीदेवी के सहित स्वश्रेयोर्थ. जै० ले० सं० मा०२ ले० २०७६, १४६५,१४७७,१४६६,१५४६,१५६१,१५६६,१५७०,१५७२ । हरि

Loading...

Page Navigation
1 ... 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722