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खरस : विभिन्न प्रान्तों में प्राज्ञा० सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें-पूर्जर-काठियावाड़ और सौराष्ट्र-अहमदाबाद:: [४६५
प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र. प्राचार्य प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठ सं० १५६४ ज्ये. श्रेयांसनाथ उदयचंद्रसरि कड़ीवासी प्रा. ज्ञा० श्रे० महिराज भा० जीविषी के पुत्र शु० १२ शुक्र०
गांगा ने स्वभा० गांगादेवी,पुत्र मेला प्रमुख-कुटुम्ब के सहित
स्वश्रेयोर्थ. सं० १५७६ माघ नमिनाथ तपा० कुतुबपुरिशाखीय प्राज्ञा श्रे० हरपति ने भा० ठुसीदेवी,पुत्र जाटा स्त्री रंगदेवी, शु. ५ गुरु०
सौभाग्यनन्दिसरि पुत्र हंसराज भा० रत्नादेवी, द्वि० भात श्रे० वीसादि सहित. सं० १५८८ ज्ये० विमलनाथ , अहमदावादवासी प्रा०ज्ञा०श्रे० गोरा ने स्वस्त्री रखिमणीदेवी, शु०५ गुरु०
पुत्र वर्द्धमान मा० मृगादेवी पुत्र खीमा भा० वछादेवी प्रमुख
कुटुम्ब-सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५६० वै० शीतलनाथ
प्रा०ज्ञा० दो० श्रे० देवदास ने भा० रूपिणी पुत्र थावर,सापा, शु० ६ रवि०
थावर भा० चंगादेवी पुत्र पासा भा० रहिदेवी-इनके श्रेयोर्थ. सं० १५६८ वै० कुन्थुनाथ सहुमालीमागच्छीय प्रा० ज्ञा० श्रे. शाणा ने भा० कुअरि पुत्र शिवराज स्वसा
जिनकीर्तिमूरि बाई सामाई के पुण्यार्थ, भ्रातृज कीका, मांगा, रत्नपाल
के श्रेयोर्थ. सं० १६६७ ज्ये. श्रेयांसनाथ तपा० विजयदानसूरि पत्तनवासी प्रा० ज्ञा० सं० ठाकर भा० श्रीमाउदेवी ने.
श्री अजितनाथ-जिनालय में (सुथार की खिड़की) सं० १५०५ माघ सुमतिनाथ तपा० जयचन्द्रसरि प्रा. ज्ञा० श्रे० कूपा भा० कपूरदेवी के पुत्र मूलू ने
स्वभा० सीलुदेवी के सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५२० फा० संभवनाथ- बृ० तपा० ज्ञानसागर- अहमदाबादवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० मउलसिंह भा० वीजलकृ. ३ सोम० चोवीसी सूरि देवी के पुत्र मं० सहसा भा० मृगदेवी के पुत्र धीरा ने
स्वभा० जीविणी, पुत्र तेजमल, वेजराज, भ्रात चासण
मा० वाली पुत्र हर्षीसहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५२८ आषा० धर्मनाथ साधु०पूर्णिमा- प्राज्ञा० श्रे० देवधर भा० अमरादेवी के पुत्र महिराज ने पुत्र शु० ५ रवि०
श्रीसरि भा० मकूदेवी,द्वि० भा० हीरादेवी पुत्र रथावर,वरजंग सहित. सं० १५५६ वै० चन्द्रप्रभ तपा० कमलकलश- अहमदाबादवासी प्रा. ज्ञा० सं० जिनदत्त के पुत्र सं० शु० १३
सूरि वत्सराज ने प्र० भा० डाट्टीदेवी,द्वि० भा० कदकूदेवी के सहित. सं० १५७७ ज्ये० नमिनाथ तपा० हेमविमल- सरखिजवासी प्रा० ज्ञा० नरदेव की स्त्री मचूयुदेवी, सेंघर
सूरि भा० सिरियादेवी के पुत्र कसा ने स्वमा० सपूदेवी, पुत्र
रीड़ादि कुटुम्बसहित. जैधा०प्र० ले०सं०भा०१ले०१२८८,१३११,१३२५,१३०२,१२७८,१३१५, १३३७,१३४८,१३५४, १३४१,१३३८।