Book Title: Pragvat Itihas Part 01
Author(s): Daulatsinh Lodha
Publisher: Pragvat Itihas Prakashak Samiti

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Page 682
________________ खएड] : विभिन्न प्रान्तों में प्रा० ज्ञा० सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें-पूर्जर काठियावाड़ और सौराष्ट्र-खंभात :: [४५३ प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० प्राचार्य प्रा० ना० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठ सं० १५०५ सुमतिनाथ तपा० जयचन्द्रसरि उटववासी प्रा. ज्ञा० श्रे. मला ने अपनी भगिनी चम्पा देवी (धनराज की स्त्री) के श्रेयोर्थ. .. सं० १५१२ वै० अजितनाथ विजयधर्म- प्रा. ज्ञा० श्रे० पासड़ के पुत्र पचा की स्त्री पूजादेवी के शु०५ सूरि पुत्र अर्जुन ने मं० सहजा भा० तिली एवं आत्मश्रेयोर्थ. श्री शान्तिनाथ-जिनालय में (चोकसी की पोल) सं० १५०८ चै० विमलनाथ आगमगच्छीय प्रा० ज्ञा० श्रे० पंचराज की स्त्री अहिवदेवी के पुत्र अमरशु० १३ रवि० श्रीसिंह सिंह, प्रा० कमलसिंह भा० चमकूदेवी के पुत्र देवराज ने स्वभा० देल्हागदेवी के सहित स्वपूर्वज-श्रेयोथे. सं० १५२४ वै० पमप्रभ तपा० लक्ष्मीसागर- कालूपुरनगर में प्रा० ज्ञा० श्रे० नारद की स्त्री कर्मादेवी सरि के पुत्र लाईया, प्रा. कुँरपाल ने मा० मृगादेवी, पुत्र सूर दास, वर्धमान आदि कुटुम्ब-सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५३१ ज्ये० नमिनाथ तपा० सुमतिसुन्दर- महिसाणावासी प्रा० ज्ञा० श्रे० गोधराज की स्त्री डाही के शु० २ रवि० सरि पुत्र कर्मराज ने स्वभा० पतीदेवी नामा के श्रेयोर्थ. श्री मुनिसुव्रतस्वामि के जिनालय में (अलिंग) सं० १४९२ चै० आदिनाथ श्रीसर्वसरि प्रा० ज्ञा० श्रे० पान्हा ने स्वभा० नागदेवी, पुत्र शिवराज ___० ५ शुक्र० भा० अर्घदेवी सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५०४ आषा० अनन्तनाथ तपा० जयचन्द्रसरि प्रा. ज्ञा. श्रे. राजसिंह की स्त्री मेघूदेवी के पुत्र धरणा शु० २ की स्त्री सारूदेवी के पुत्र हेमराज ने भ्रातृ अमरचन्द्र,पितृव्य सावा स्वकुटुम्ब सहित पिता के श्रेयोर्थ. सं० १५१६ चै० वासुपूज्य वृ० तपा० विजय- प्रा० ज्ञा० श्रे० कर्मसिंह की भा० फदकूदेवो के पुत्र महि रत्नसरि राज ने स्वभा० सोही के सहित पिता के श्रेयोर्थ. सं० १६३२ द्वि० चन्द्रप्रम तपा० विजयसेन- खम्भातवासी प्रा. ज्ञा. श्रे. सिंह पुत्र लक्ष्मण पुत्र चै० कु. ८ शुक्र. सूरि हेमराज की स्त्री वयजलदेवी के पुत्र श्रे० अमिराज ने भा० तेजलदेवी, पुत्र पुण्यपाल प्रमुख-कुटुम्बसहित. श्री नवखपडापार्श्वनाथ-जिनालय में (भोयरापाड़ा) सं० १५२६ आपा० कुन्धुनाथ · तपा० लक्ष्मीसागर- प्रा. ज्ञा० श्रे० वाच्छा की स्त्री बनीदेवी के पुत्र श्रे० शु०१ रवि० सूरि सांगा ने भा० झाड्देवी, पुत्र वीरा, जयसिंह आदि . कुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ. 20५/०प्र० ले०सं०भा०.२ले०७३८,८०२,८४२,८४३,८२६,८५६,८५५,८४६८५४,८७२।

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