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प्राग्वाट-इतिहास:
[तृतीय
__ श्री अमृतजरापार्श्वनाथ-जिनालय में (जीरारवाड़ा) प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० भाचार्य प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १५२० मार्ग. पार्श्वनाथ उपकेशग०- प्रा० ज्ञा० सं० कउमा की स्त्री गुरुदेवी के पुत्र सिंहराज शु०६ शनि०
ककसरि सुश्रावक ने स्वभा० ठणकूदेवी, पुत्र जीवराज,भ्रातृ हंसराज,
भ्रातृ भोजराज, सं० जसराजसहित स्वमाता के श्रेयोथे.
___ श्रीमरनाथ-जिनालय में (जीरारवाड़ा) । सं० १५५२ वै० शीतलनाथ नागेन्द्रगच्छीय- प्रा. ज्ञा० ) हरपाल भाखर मं० धनराज ने मा० धर्माकृ०१३ सोम०
हेमसिंहसरि देवी पुत्र जागु, भूपति, नाथा भा० कर्मादेवी, जीवा भा०
लीलादेवी, माद, भ्रात के श्रेयोर्थ. सं. १६५३ का. वासुपूज्य तपा० विजयसेन- प्रा. ज्ञा० श्रे० पोपट की स्त्री वीरादेवी के पुत्र श्रे०
सूरि अर्जुन ने. सं० १७२१ ज्ये० पार्श्वनाथ तपा० विजयराज- खंभातवासी प्रा० शा० श्रे० जगराज के पुत्र काहनजी शु० ३ रवि०
बरि की स्त्री पाखड़(?) ने.
श्री सोमपार्श्वनाथ-जिनालय में (संघवीपाड़ा) सं० १६२२ माष पचप्रम तपा० हीरविजयसरि स्तंभतीर्थ में बड़दलावासी प्रा० झा० म० जिनदास की रु. २ बुध.
मा० रहीदेवी पुत्र मं० कीका ने मा० कर्मादेवी, पुत्र हंसराज मा० इन्द्राली पुत्र धनराज, हीरजी, हरजी प्रमुख
समस्त कुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ.
श्री विमलनाथ-जिनालय में (चोकसी की पोल) सं० १५२१ वै० कुन्युनाथ- तपा० लक्ष्मीसागर- प्रा. ज्ञा० श्रे० राउल की स्त्री वीदेवी के पुत्र सम
चावाशा चोवीशी सूरि राज ने भा० गउरीदेवी, पुत्र धनराज, वनराज, दत्तराज
आदि कुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५८७ पौ० अजितनाथ तपा० हेमविमल- वीशलनगरवासी प्रा. ज्ञा० पुत्र हरपति भा० हीरादेवी के शु० १३
सूरि . पुत्र पडा हेमराज ने भगिनी कतूदेवी, भा० झमकीबाई
प्रमुखकुटुम्ब सहित. • श्री चिन्तामणि-पार्श्वनाथ-जिनालय में (चोकसी की पोल) सं० १३०६ फा० पार्श्वनाथ- सोमतिलक- प्रा० ज्ञा० श्रे० गहगड़ की स्त्री नायकदेवी के पुत्र पान्हा
०८ पंचतीर्थी सरि ने पिता के श्रेयोर्थ.
जै० पा०प्र०ले०सै०भा०२ले०७५३.७६६,७६२,७७१,७८०,७८८,७६,८२०।