Book Title: Pragvat Itihas Part 01
Author(s): Daulatsinh Lodha
Publisher: Pragvat Itihas Prakashak Samiti

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Page 680
________________ खण] : विभिन्न प्रान्तों में प्रामा० सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें-पूर्जर-काठियावाड़ और सौराष्ट्र-संभात :: [at श्री महावीर-जिनालय में (गीपटी) प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० आचार्य प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १५२० शीतलनाथ तपा० श्रीसूरि प्रा० ज्ञा० श्रे० पान्हा की स्त्री मेचूदेवी के पुत्र श्रे० धनराज ने भा० रूढी, पुत्र हीराचन्द्र, जूठा प्रमुखकुटुम्ब-सहित. सं० १५४६ माष चन्द्रप्रभ भागमगच्छीय प्रा०ज्ञा० श्रे० कर्मराज की स्त्री थर्मिणीदेवी के पुत्र सुभगिरण विवेकरत्नसरि ने स्वभा० श्रीदेवी, पु० अमीपाल, रत्नपाल, भ्रात वीरपाल __ आदि के सहित. श्री अजितनाथ-जिनालय में सं० १५२८ वै. शीतलनाथ तपा० लक्ष्मीसागर- प्रा० ज्ञा० श्रे० रत्नचन्द्र की स्त्री अर्धदेवी के पुत्र धनपति, शु० ३ शनि० सूरि मंडलिक के सहित श्रे. रत्नचन्द्र ने पुत्री कनूदेवी के एवं प्रात्मश्रेयोर्थ. श्री चिन्तामणि-पार्श्वनाथ-जिनालय में (जीरारपाड़ा) सं० १५८६ वै० सम्भवनाथ द्विवंदनीक-कक- प्रा० ज्ञा० श्रे० गोविन्द ने स्त्री गौरीदेवी, पुत्र नरवाल पुत्र शु० १२ सोम० सरि नाकर भा० पना आदि कुटुम्ब-सहित. श्री शान्तिनाथ-जिनालय में सं० १५२४ वै० आदिनाथ तपा० लक्ष्मीसागर- स्तम्भतीर्थ में प्रा० ज्ञा० श्रे० गोधराज स्त्री कुंअरिदेवी के शु०५ शनि. .....सरि पुत्र काला ने स्वभा० कुतिगदेवी, मातृ भला, गजा, राजा .. भा० भावलदेवी, भइमादेवी, रंगीदेवी, पुत्र वेजा, सहना, . मांका, श्रीपाल आदि के सहित स्वपितृव्य लापा के श्रेयोर्थ. भूगृह-जिनालय में सं० १५२८ माघ संभवनाथ तपा० लक्ष्मीसागर- प्राज्ञा० पंचाणेचागोत्रीय श्रे० सारंग ने स्वस्त्री सुहड़ादेवी, __ - - सूरि पुत्र देहड़ स्त्री देवलदेवी पुत्र नाथा, धना एवं स्वश्रेयोर्थ. सं० १५३० माघ नमिनाथ सांबोसणवासी प्रा० ज्ञा० ० रामसिंह स्त्री सोमादेवी शु०४ शुक्र पुत्र लालचन्द्र की स्त्री झटकू नामा ने भ्रात कालादि कुटुम्ब के सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १६१३ वै० मुनिसुव्रत तपा० धर्मविमल- नंदरवारनगर में प्रा० ज्ञा० दो० श्रे० झालण भा० कमलाशु० १३ रवि. गणि देवी पु. कान्हा जीभा ने स्वश्रेयोर्थ सं० १६२२ पौ० धर्मनाथ तपा० हीरविजयसूरि प्रा० ज्ञा० श्रे० पद्मराज ने भा० भलाईदेवी पुत्र सं० मचा कृ० १ रवि० भा० हदेवी पुत्र सं० जीवंत, कीका के सहित. जै० घा०प्र०ले०सं०भा०२ ले०७०८,७०६,७१८,७२१,७३०,७४७,७३८,७४५,७४६।

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