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प्राग्वाट-इतिहास:
[ तृतीय
प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० आचार्य प्रा. ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १५२७ पौ० कुन्थुनाथ बृ० तपा०जिनरत्न- प्रा. ज्ञा० श्राविका धाईदेवी के पति ने पुत्र अमीपालसहित कृ. १ सोम०
सरि पिता-माता के श्रेयोर्थ. सं० १५३१ माघ श्रेयांसनाथ द्विवंदनीक ग० प्रा० ज्ञा० म० मंडलिक ने भा० डाहीदेवी, पुत्र वरसिंह क०८ सोम
सिटसरि भावजलोतीति सं० १५४६ मा० आदिनाथ तपा० सुमतिसाधु- आशापल्लीय प्रा० ज्ञा० श्रे० सापा भा० गिरमृदेवी की शु० ३ शनि०
सरि पुत्री नाथी ने स्वमाता के श्रेयोर्थ. सं० १५५४ फा० विमलनाथ आगमगच्छीय प्रा० ज्ञा० पेथड़सन्तानीय श्रे० भूपति की स्त्री साधुदेवी
विवेकरनसरि की पुत्री पतू नामा ने भ्रात सचवीर ढादिकुटुम्ब-सहित
स्वश्रेयोर्थ. खंभात (श्री स्तम्भतीर्थ) के श्री चिंतामणि-पार्श्वनाथ-जिनालय में सं० १५४७ वै० अम्बिकामूर्ति सुमतिसाधुसरि गंधारवासी प्रा० ज्ञा० महिराज की स्त्री रूड़ीदेवी के पुत्र शु० ३ सोम०
पासवीर ने स्वभा० पूरीदेवी स्वकुटुम्ब सहित. सं० १६१२ वै० चन्द्रप्रभ विजयदानसरि जंबूसरग्रामवासी प्रा० ज्ञा० श्राविका दूना की पुत्री चंगाशु० २
देवी के पुत्र बेगड़ ने.
श्री शान्तिनाथ-जिनालय में (आरीपाड़ा) सं० १५०७फा० कुन्थुनाथ- श्रीसरि तईरवाड़ावासी प्रा०ज्ञा०श्रे० कड़ा की स्त्री कमलादेवी के चोवीशी
पुत्र इना ने स्वभा० आल्हणदेवी, पुत्री राजूदेवी कुटुम्बसहित
स्वश्रेयोर्थ. सं० १५१७ ज्ये. सुमतिनाथ वृ. ग. सत्यपुरी- झायणाग्राम में प्रा० ज्ञा० पारि० भादा ने स्त्री माकूदेवी,
शु० ५ गुरु० (जीवित) पासचन्द्रसरि पु० जीवराज, मूलचन्द्र के सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५६५ वै० संभवनाथ तपा० हेमविमलसरि वटपद्रवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० गजराज की स्त्री जीविणी के शु० ३ रवि०
पुत्र श्रे० लक्ष्मण ने पितृस्वसा श्रा० देमादेवी के श्रेयोर्थ. सं०१५६१ वै० अनन्तनाथ अंचलग० गंधारवासी प्रा. ना. श्रे. लक्ष्मण की स्त्री श्रे० पर्वत ०६ शुक्र०
गुणनिधानसरि की पुत्री श्रा० झकू नामा ने पु० धर्मसिंह, अमीचन्द्र
प्रमुखकुटुम्ब के सहित. सं० १६०४ वै. धर्मनाथ ......... प्रा० ज्ञा० श्रे० वीरजी की स्त्री गौरीदेवी के पुत्र जयराज, ७ सोम.
जीवण ने.
जै० घा० प्र० ले० सं० मा०२ ले०५०१, ५०६, ४८१,४६६, ५५३, ५४४, ५७४, ५८४, ५७१, ५६५, ५७२।