Book Title: Pragvat Itihas Part 01
Author(s): Daulatsinh Lodha
Publisher: Pragvat Itihas Prakashak Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 663
________________ ४६४ ] प्र० वि० संवत् सं० १४४० पौ० शु० १२ बुध० सं० १५०५ माघ शु० १० रवि ० सं० १५१६ वै० शु० ३ :: प्राग्वाट - इतिहास : प्रा० ज्ञा० प्रतिमा प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि श्री शांतिनाथ - जिनालय में (श्री शांतिनाथजी की पोल) प्र० प्रतिमा o आचार्य अजितनाथ श्री पूर्णचन्द्रपडा- प्रा० ज्ञा० श्रे० श्रीकर्मराज की स्त्री सहजलदेवी के पुत्र लंकार हरिभद्रसूरि मदन ने स्वभा० माल्हणदेवी के सहित पिता-माता के श्रेयोर्थ. सुविधिनाथ- मलधारिगच्छीय- प्रा० ज्ञा० श्रे० नत्थमल की स्त्री रूड़ी के पुत्र डुङ्गर ने चोवीसी गुणसुन्दरसूरि भ्रातृ ० भीमचन्द्र के श्रेयोर्थ. अभिनन्दन तपा० रत्नशेखरसूरि प्रा० ज्ञा० ० ऊधरण की स्त्री वज्रदेवी के पुत्र शिवराज ने स्वभा० गउरी, भ्रातृ धर्मसिंह, मालराज पुत्र सातमण के सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५१६ मार्ग • सुविधिनाथ श्रीसूरि कृ० १ सं० १५२२ फा० कुन्थुनाथ शु० ३ सोम ० सं० १५२५ मार्ग० वासुपूज्य शु० १० सं० १५२७ पौ० विमलनाथ कृ० ५ शुक्र ० सं० १५४२ वै० शु० १० गुरु ० नमिनाथ अंचलगच्छीय जयकेसरिरि [ तृतीय ?? अहमदाबादवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० नत्थमल की स्त्री रूड़ीदेवी के पुत्र ङ्गर के अनुज श्रे० मेघराज भा० मीणलदेवी के पुत्र पर्वत ने स्वभा० सांकूदेवी, भ्रातृ महिपति, हरपति भ्रातृजाया चमकूदेवी, अधकूदेवी, मटीदेवी पुत्र पूनसिंह, भूभच राजपाल, देवपाल, चौकसिंह, जयंतसिंह, ठाकुत्रा, मटकल, मालदेव, कीकादि कुटुम्बसहित भ्रातृ शिवराज भा० सरस्वतीदेवी के श्रेयोर्थ. प्रा० ज्ञा० ० पासराज की स्त्री वन्हादेवी की धर्मपुत्री श्रृंगारदेवी श्राविका ने समस्त कुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ मण्डपमहादुर्ग में. तपा० लक्ष्मीसागर - प्रा० ज्ञा० मं० मेघराज की स्त्री मूंजीदेवी के पुत्र वदा ने सूरि स्वभा• लाली, भ्रातृ हरदास भा० धनीदेवी, भ्रातृ धरकणादि कुटुम्ब-सहित सरवण, सांरग, मांडण, पाता, ठुसादि के श्रेयोर्थ. प्रा० ज्ञा० ० सहदेव भा० चनू के पुत्र देवराज की स्त्री देवलदेवी ने पुत्र अजा, हेमा प्रमुखकुटुम्ब के सहित. तपा० लक्ष्मीसागर - सिद्धपुर में प्रा० शा ० रामचन्द्र भा० मांजूदेवी, रघूदेवी सूरि पुत्र जागा ने स्वभा० रेईदेवी पुत्र पना, पटादि, वृद्धभाव महिराज, जीवादि कुटुम्बसहित श्रात्म एवं धांधलदेवी के श्रेयोर्थ. निजामपुर में प्रा० ज्ञा० श्रे० सहज ने स्वभा० जालूदेवी पुत्र समधर, सालिग, तेजमल, पंचायखादि - सहित. सं० १५४६ माघ कुन्थुनाथ तपा० सुमतिसाधुपूरि शु० ३ जै० धा० प्र० ले० सं० भा० १ ० १२७७, १३१३, १३२४, १२६२, १२६०, १२७४, १२६३, १३२८, १३२६ ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722