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खण्ड ] :: विभिन्न प्रान्तों में प्राज्ञा सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें-गूर्जर-काठियावाड़ और सौराष्ट्र-सीनोर :: [४७५
श्री मुनिसुव्रतस्वामि-जिनालय में प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्राचार्य प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १४८८ ज्ये० शीतलनाथ- तपा० सोमसुन्दर- प्रा. ज्ञा० परी० श्रे० कड़ा भा० रूपिणी के पुत्र शिवराज
शु० ५ पंचतीर्थी सरि ने स्वमाता के श्रेयोर्थ. सं० १५०८ वै० अभिनंदन तपा०रत्नशेखरसूरि जंहरवारवासी प्रा० ज्ञा० ० खेता भा० खेतलदेवी के पुत्र शु०३
वजयराज की भा० जयतूदेवी के पुत्र हरपति ने स्वश्रेयोर्थ. सं० १५०६ वै० कुन्थुनाथ- आगमगच्छीय- भृगुकच्छवासी प्रा०ज्ञा०४० कमलसिंह ने स्वस्त्री कमलादेवी, क०५शनि० चोवीशी देवरत्नसरि पुत्र हरिजन भा० रंगदेवी प्रमुख कुटुम्बसहित माता-पिता
और स्वश्रेयोर्थ. सं० १६२२ माघ अनंतनाथ तपा० हीरविजय- भृगुकच्छवासी प्रा०ज्ञा० दो० लाला ने भा० वच्छीबाई,पुत्र कु० २ बुध.
सरि कीका के सहित.
द्वि० श्री मुनिसुव्रतस्वामि-जिनालय में सं० १५६५ माघ पार्श्वनाथ तपा० विजयदान- प्रा० ज्ञा० श्रे० हिगु, नाना, धीना, धर्मसिंह, भातृजाया, शु० १२ शुक्र०
सूरि कीलाई ने.
श्री आदिनाथ-जिनालय में (वेजलपुरा ) सं० १५०३ सुमतिनाथ तपा० जयचन्द्र- प्रा०ज्ञा० मं० सायर की स्त्री कपूरी के पुत्र मं० महणसिंह ने
सरि स्वभा० वर्जुदेवी, पुत्र खेतादि कुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५१३ वै० धर्मनाथ- आगमगच्छीय- गंधारवासी पेथड़संतानीय प्रा० ज्ञा० श्रे० हरराज की स्त्री शु० १० बुध० चोवीशी देवरत्नसरि हीरादेवी के पुत्र गुणीश्रा ने भा० लालीदेवी, पुत्र भूपति,
वस्तीमल,देवपाल, सहजपाल आदि कुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५२३ वै० नमिनाथ तपा० लक्ष्मी- सीहुँजग्रामवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० झाला मा० मेघदेवी के पुत्र शु० ३ शनि० - सागरमरि श्रे० काला ने स्वभा० हचीदेवी,पुत्र करण, वता(?), वीछा,
गांगा आदि कुटुम्बसहित स्वपितृव्य भूणपाल के श्रेयोर्थ.
सिनोर के श्री अजितनाथ-जिनालय में सं० १५४२ फा० विमलनाथ तपा० लक्ष्मी. देवासिनगरनिवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० देवसिंह भा० गुरीदेवी कु. ८ शनि० . सारगरि के पुत्र आसराज भा० धाईबाई के पुत्र सं० वचराज ने
स्वभा० माणकदेवी, पुत्री नाथी प्रमुखकुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ.
जै० धा०प्र० ले०सं०मा०२ ले०३२८, ३२६,१३१,३३३,३५४, ३५८,३५५, ३५७, ३६६।