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खण्ड ] :: विभिन्न प्रान्तों में प्रा० ज्ञा० सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें - अबु दप्रदेश (गुर्जर राजस्थान ) - सेलवाड़ा :: [ ४२१
मडार ग्राम के श्री जिनालय में
प्र० श्राचार्य
प्र० वि० संवत् सं १४-८ माघ
कृ०
सं० १५०५
सं० १५२३ माघ
शु० ६
सं० १५२५ फा०
शु० ७
सं० १५३३ वै०
शु० १२ गुरु०
सं० १६२४ फा० शु० ३ रवि ०
सं० १७२१ ज्ये० शु० ३ रवि ०
सं० १५०३ मार्ग शु० ६
सं० १५१८ फा० कृ० ५
प्र० प्रतिमा
संभवनाथ
सुमतिनाथ तपा० जयचन्द्रसूरि
सुविधिनाथ तपा० लक्ष्मी
सागरसूरि
विमलनाथ
धर्मनाथ
आदिनाथ
शांतिनाथ
तपा० विशालराजसूरि
सुमतिनाथ
मिनाथ
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प्रा० ज्ञा० प्रतिमा प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि प्रा० ज्ञा० श्राविका रूपादेवी के पुत्र वेलराज ने पुत्र साजणादि के सहित स्वश्रेयोर्थ.
सिद्धपुरवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० डूगर की स्त्री रूदीबाई के पुत्र महिपाल रत्नचन्द्र ने भा० अमकू देवी, कडूदेवी, पुत्र नगराजादि कुटुम्बसहित.
प्रा० ज्ञा० ० देवपाल की स्त्री मलादेवी के पुत्र इङ्गर ने भ्रा० काला, लाखा आदि कुटुम्बसहित.
प्रा० ज्ञा० ० चांपा की स्त्री कडूदेवी के पुत्र बहुआ ने भा० झनूदेवी प्रमुखकुटुम्बसहित स्वमाता-पिता के श्रेयोर्थ.
प्रा० ज्ञा० सं० सोना की स्त्री हर्षू देवी के पुत्र सं० जीखा ने भा० जासलदेवी पुत्र जीवराजादि कुटुम्बसहित सं० पासा के श्रेयोर्थ.
हीरविजयसूरि
सातसेण ग्राम के श्री जिनालय में
प्रा० ज्ञा० श्रे० मगू की स्त्री कर्मादेवी के पुत्र श्रे० ठाकुर ने स्वभा० वाकीबाई पुत्र सिधजी प्रमुख कुटुम्बसहित
हीरविजयसूरिपड - किसी प्रा० ज्ञा० श्राविका (सिरोही - निवासिनी) ने नायक विजयसेनरि
रेवदर ग्राम के श्री जिनालय में
तपा० जयचन्द्रसूरि प्रा० ज्ञा श्रे० हापा भार्या हीमादेवी की पुत्री श्रा० मप नामा ने.
सेलवाड़ा ग्राम के श्री जिनालय में
तपा० लक्ष्मी- पत्तनवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० रणसिंह की स्त्री वाछूदेवी के सागरसूर पुत्र चांपा ने स्वंभा० मांकड़ पुत्र भोगराज, भोजराज कुटुम्ब सहित स्वश्रेयोर्थ.
अ० प्र० जे० ले० सं० ले० ७७, ८०, ८५, ८६, ८८, ६१, १०६, १८४, १८६ ।