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प्र० वि० संत्रत्
सं० १५७१ मा० कृ० २
सं० १४८५ बै० शु० ८ सोम ०
सं० १५३६ का० शु० २ सं० १५४० वै० शु० ३
सं० १५४५ ज्ये० कृ० ११ रवि ०
प्र० प्रतिमा
आदिनाथ
सं० १४८६ आषाढ़ अजितनाथ
कृ० १०
आदिनाथ
सुमतिनाथ
शांतिनाथ
पद्मप्रभ
अजितनाथ
: सं० १४६२ शु० ५
सं० १४६१ माघ आदिनाथ
शु० ५ बुध०
सं० १५५६ माघ पद्मप्रभ शु० १४
: प्राग्वाट - इतिहास ::
लोरल ग्राम के श्री जिनालय में
o आचार्य
सं० १५३२ वै० शांतिनाथ शु० १२ गुरु०
श्रीर
saणी ग्राम के
पूर्णिमापक्षीय
जयचंद्रसूरि
............
कोरंटगच्छीय
नभसूरि
ब्रह्माण०
उदयप्रभसूर तपा० हेमविमल -
सूर
प्रा० ज्ञा० प्रतिमा प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि
मेड़ा ग्राम के तपा० लक्ष्मीसागरसूरि
रोहीड़ावासी प्रा० ज्ञा०
श्री जिनालय में
तपा० सोमसुन्दर वृद्धग्रामवासी प्रा०ज्ञा० श्रे० गांगा की स्त्री मान्हणदेवी के ० सोनपाल ने स्वभा० साहगदेवी, पुत्र वनराजादि के सहित स्वश्रेयोर्थ
सूरि
प्रा० ज्ञा० श्रे० मांडण की स्त्री हांसूदेवी के पुत्र राणा ने भा० लक्ष्मीदेवी, पु० खनादि कुटुम्बसहित
तपा० लक्ष्मीसागर - प्रा० ज्ञा० श्रे० पांचा की स्त्री शंभूदेवी के पुत्र लांपा ने स्वभ्रातृ चेला, लुंभा, भ्रातृज लाला, शोभा, चाई आदि कुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ और पूर्वजों के श्रेयोर्थ
सूरि
तपा० सुमतिसाधु- प्रा० ज्ञा० सं० सीखरन ने पुण्यार्थ
सूरि
माल ग्राम के श्री जिनालय में
प्रा० ज्ञा० श्रे० डूङ्गर ने
[ तृतीय
० जावड़ की पुत्री जाणी ने.
प्रा० ज्ञा० ० लोला की स्त्री बदेवी के पुत्र सारंग ने स्वभा० रत्नादेवी के सहित पिता के श्रेयोर्थ तथा पितृव्य साजण के श्रेयोर्थ
प्रा० ज्ञा० श्रे० लक्ष्मण की स्त्री रूदीदेवी के पुत्र सेखा ने स्वस्त्री सहजलदेवी के श्रेयोर्थ
श्री जिनालय में
प्रा० ज्ञा० श्रे० गोसल की स्त्री वाहूदेवी के पुत्र मरमाने स्वभा० रुखमिणी पु० लाखा, विजा, गहिंदा आदि के सहित स्वश्रेयोर्थ
ग्रामनिवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० सोमचन्द्र की स्त्री सोनलदेवी के पुत्र लखा ने स्वभा० लक्ष्मीदेवी, पुत्र लुपा, लुम्भा, जेसा, पेथा आदि कुटुम्बसहित.
० प्र० जै० ले० सं० ले० १६१, १६८, १६६२०२, २०३, २०४, २१०, २११, २१५, २२५ ।