Book Title: Pragvat Itihas Part 01
Author(s): Daulatsinh Lodha
Publisher: Pragvat Itihas Prakashak Samiti

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Page 660
________________ भार: विभिन्न प्रान्तों में प्रा०क्षा सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें-गूर्जर-काठियावाड़ और सौराष्ट्र-अहमदाबाद:[ ४६५ सरि मूरि प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र. प्राचार्य प्रा. ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १५१३ वासुपूज्य तपा० रलशेखरसूरि वीसलनगर में प्रा० ज्ञा० श्रे० महिराज की स्त्री वर्जू देवी के पुत्र श्रे० आंबा ने स्वभा० संपूरी, पुत्र हेमराज, देवर्जादि के सहित श्वसुर श्रे. केन्हण भा० किन्हणदेवी के श्रेयोर्थ. सं० १५१६ ज्ये० आदिनाथ , पत्तन में प्रा० ज्ञा० श्रे० सागर की स्त्री सचूदेवी के पुत्र शु०३ हलराज ने स्वभा० मटकूदेवी, पित् देवदास, राघव,भूचरादि कुटुम्ब के सहित-स्वश्रेयोर्थ. सं० १५२५ मार्ग शांतिनाथ तपा. लक्ष्मीसागर- प्रा. ज्ञा० मं० गांगा मा० गंगादेवी के पुत्र देवदास ने स्वभा० पूरी, पुत्र दादादि कुटुम्ब के सहित. सं० १५३२ वै० सुमतिनाथ प्रा० शा० श्रे० देवराज की स्त्री रूपिणी के पुत्र पूजा की शु० १५ स्त्री मृगदेवी ने. सं० १५३३ माघ आदिनाथ प्रा० ज्ञा० श्रे० नत्थमल की स्त्री सुलेश्री के पुत्र प्रताप ने कृ. १० स्वश्रेयोर्थ. सं० १५५० वै० संभवनाथ सा० पू० उदयचंद्र- प्रा. ज्ञा० श्रे० गुणीया की स्त्री धर्मादेवी के पुत्र लालचंद्र शु० ५ रवि० ने स्वभा० खीमादेवी के सहित सं० १५५२ फा० धर्मनाथ तपा० हेमविमलसरि सींहुजवासी प्रा. ज्ञा० श्रे० का भा० चमकूदेवी के पुत्र शु० ६ शनि. जीतमल ने स्वभा० जसमादेवी, पुत्र मेघराज, वीका, नाई, भामाईयादि कुटुम्ब के सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५६७ ज्ये० आदिनाथ जयकल्याणसरि प्रा. ज्ञा० श्रे मनका की पुत्री श्रे० हरराज भा० कर्मादेवी शु०१ शुक्र० पुत्र जगा की भा० हांसी ने स्वश्रेयोर्थ. श्री धर्मनाथ-जिनालय में (ऊपर के गर्भगृह में) सं० १५२५ फा० श्रेयांसनाथ तपा. लक्ष्मी- प्रा० ज्ञा० सं० देवराज की स्त्री वर्जुदेव के पुत्र वाछा की शु ७ शनि० ____ सागरपरि स्त्री राजूदेवी के पुत्र कान्हा ने स्वमा० रत्नादेवी के सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५६६ वै० मरनाथ सा० पू० विद्या- पेथापुरवासी प्रा०ज्ञा० दो० श्रे० बालचन्द्र की स्त्री अमरा चन्द्रसरि देवी, पुत्रवधू हेमादेवी पुत्र नत्थमल के सहित स्वश्रेयोर्थ. श्री शान्तिनाथ-जिनालय में सं० १५२८ माघ सुविधिनाथ तपा० भीमरि प्रा. ज्ञा० ३० शा० म० रत्ना मा० महयोदलदेवी के पु. कु.४ म० भीमा के श्रेयोर्थ भ्रात म० कीका ने भा० कर्मादेवी, पु० श्रीपाल के सहित. जै. घा०प्र० ले० सं० भा०१ले०१०६७,१०६६,११००, १०५६,११०५,१०६८,१०६६,१०६८, १११७, १११८, ११४२।

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