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प्राग्वाह-इतिहास::
[तृतीय
प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० प्राचार्य प्रा० शा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १५२८ माघ० मुनिसुव्रत तपा० लक्ष्मी. अजाहरीवासी प्रा० शा० श्रे ऊदा की स्त्री पानी के पुत्र कृ०५
सागरसूरि नीसल ने स्वभा० अधू पुत्र नलादि कुटुम्बसहित. सं० १५२६ फा० शांतिनाथ , प्रा. ज्ञा० श्रे० भोजराज ने, स्वभा० अछवादेवी, भ्रात कृ. ३ सोम०
रामादि सहित भगिनी राणी, पुत्र लाला के श्रेयोथे. सं० १५२६ मा० देवकुलिका तपा० सोमजय- सीदरथाग्रामवासी प्रा० ज्ञा० श्रे. ........'कुटुम्बसहित. क०३ गुरु०
सूरि सं० १५६५ माघ० पार्श्वनाथ पिप्पलगच्छीय- प्रा० ज्ञा० श्रे० वेलराज की स्त्री धनीबाई के पुत्र नगा शु० १३ शनि०
देवप्रभसरि ने स्वभा० नारंगदेवी, पु० जगा, पिता के श्रेयोर्थ.
लोटाणा ग्राम के श्री जिनालय में सं० ११४४ ज्ये० वईमान निर्वतक- आम्रदेवगच्छीय प्रा. ज्ञा० श्रे० प्रासदेव ने.
कुलीय
दीयाणा के श्री जिनालय में सं० १४११ जिनयुगल ......... प्रा०ज्ञा० श्रे०कुयरा की स्त्री सहजूदेवी के पुत्र श्रे० तिहुणा
ने स्वभा० जयतूदेवी, पुत्र रूदा भा० वसंतलदेवी के सहित.
पेशवा ग्राम के श्री जिनालय में सं० १७२१ ज्ये० कुंथुनाथ विजयराजसरि पेशुवावासी प्रा० झा० श्री संघ ने. शु० ३ रवि०
धनारी के श्री जिनालय में सं० १३४८ आषा० ............
धनारीग्राम में प्रा० ज्ञा० श्री पूनदेव के पुत्र झाला की स्त्री शु० ६ मंगल.
रान्हदेवी के पुत्र श्रे०आम्रदेव ने स्वभा०लासदेवी और धार्मिक श्रे० लुबा ने स्वभा० दमिणीदेवी पुत्र श्रे० लाखण, सल
खण, विजयसिंह, पद्मसिंह, लाखण के पुत्र मोहन के सहित सं० १४३४ वै० अंबिकादेवी माहडीयगच्छीय प्रा. ज्ञा० श्रे० भोहण भा० चांपल के पुत्र विरुपाने कृ. २ बुध०
सोमप्रभसूरि सं० १५५२ माघ शीतलनाथ तपा० हेमविमल- कुण्डवाड़ावासी प्रा. ज्ञा० श्रे. आल्हा की स्त्री रूपिणी के शु० १२ बुध०
सूरि पुत्र श्रे० पाता ने, स्वभा० प्रीमलदेवी, पुत्र जावड़, आस
राज भा० लक्ष्मीदेवी प्रमुखकुटुम्बसहित.
म०प्र० ० ले० सं० ले० ४६१,४६२,४६३,४६५,४७३, ४६२,५०४, ५०५, ५०८, ५११ ।