Book Title: Pragvat Itihas Part 01
Author(s): Daulatsinh Lodha
Publisher: Pragvat Itihas Prakashak Samiti

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Page 650
________________ खण्ड ] :: विभिन्न प्रान्तों में प्राज्ञा० सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें-गूर्जर-काठियावाड़ और सौराष्ट्र-बड़नगर :: [ ४५१ . . . . . .. . . . .. . मूरि प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० प्राचार्य प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १६१७ ज्ये० श्रेयांसनाथ तपा० विजयदान- पत्तनवासी महं० गोगा ने स्वभा० जयवंती, सुनाबाई आदि शु० ५ सोम० सूरि के एवं स्वश्रेयोर्थ. बड़नगर के श्री आदिनाथ-जिनालय में सं० १५१५ फा० सुपार्श्वनाथ तपा० रत्नशेखर- प्रा. ज्ञा० श्रे०.... शु. १२ सरि सं० १५१६ माष कुन्थुनाथ तपा० लक्ष्मीसागर- प्रा० ज्ञा० श्रे० महिपाल की स्त्री माणिकदेवी के पुत्र वेल मूरि राज ने स्वभा० वनादेवी प्रमुख परिवार के सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५५४ माघ नमिनाथ तपा० हेमविमल- गोलग्रामवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० भादा की स्त्री हीरादेवी के कृ २ बुध० मूरि पुत्र श्रे० जांटा ने स्वभा. टीहिकूदेवी आदि प्रमुख कुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५५५ वै० धर्मनाथ तपा० हेमविमल- गालहउसैण्यग्राम में प्रा० ज्ञा० श्रे० गोपाल की स्त्री अघुदेवी शु० ३ शनि० के पुत्र बोवा की स्त्री जाणीदेवी के पुत्र श्रे० जयसिंह ने स्वभा० जसमोददेवी, पुत्र पोपट आदि प्रमुख कुटुम्बीजनों के सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५५५ फा० सुमतिनाथ ....... महिसाणा में प्रा० ज्ञा० श्रे० सोढ़ा की स्त्री देवमती के शु० २ सोम० पुत्र श्रे० हापा देपा ने भा० कमोदेवी, पुत्र लटकण, भा० लीलादेवी के सहित. सं० १५५७ वै० पद्मप्रभ प्रा. ज्ञा० श्रे. धर्मपाल की स्त्री लक्ष्मीदेवी के पुत्र कुरा ने शु० १३ शनि० स्वभा० चंपादेवी, पुत्र महिराज के श्रेयोर्थ विसलनगर में. सं० १५८४ चै० शांतिनाथ बृ० तपा० सौभाग्य- वीशलनगरवासीप्रा०ज्ञा० श्रे० धर्मराज की स्त्री नाउदेवी पुत्र कु. ५ गुरु० सागरसूरि जोगा की स्त्री गोमती के पुत्र श्रे धरणा ने वृद्धभ्राता हर्षा के सहित स्वभा० मणकीदेवी, पुत्र जयंत, जसराज, जयवंत, पौत्र जयचन्द्र आदि के सहित. सं० १५६७ वै० आदिनाथ तपा० लक्ष्मीसागर- प्रा० ज्ञा० श्रे० सिंह की स्त्री तीलूदेवी के पुत्र सेदा ने शु०३ स्वभा० धती, भ्रात जसराज भा० रुपिणी, राजमल, भीमराज आदि कुटुम्बीजनों के सहित स्वश्रेयोर्थ. सं०१६२८ वै० धर्मनाथ तपा० कल्याणविजय- वटपल्लीवासी प्रा०ज्ञा. श्रे. जगमाल ने स्वमा० अजादेवी, शु०११ बुध० गणि पुत्र पुंजा आदि प्रमुख कुटुम्बीजनों के सहित. जै० धा० प्र० ले० सं० भा० १ ले० ५३१, ५५१, ५३६, ५४०, ५४६, ५५४, ५४८, ५४५, ५५५, ५४६ । मूरि

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