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बस ] : विभिन्न प्रान्तों में प्राक्षा० सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें-गूर्जर-काठियावाड़ और सौराष्ट्र-संडेसर :: [४४४
प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० प्राचार्य प्रा० शा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १५३० माघ कुन्थुनाथ- वृ० तपा० जिन- प्रा. ज्ञा० दो० नुला की स्त्री नामनदेवी के पुत्र सालिग शु०१३ रवि. पंचतीर्थी रत्नसरि ने स्वभा० रमी, जसादेवी, भ्रातृपुत्र सधारण के सहित
माता श्रीधर के श्रेयोर्थ
सलखणपुर के श्री जिनालय में सं० १३११ चै० अजितनाथ ......... मिलग्रामवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० वयरसिंह की स्त्री जयंताकृ० पक्ष बुध०
देवी के पुत्र जयंतसिंह ने माता के श्रेयोर्थ. सं० १३३० चै० संभवनाथ श्री मुनिरत्नसरि प्रा. ज्ञा० महं० राजसिंह के पुत्र चाचा ने पुत्र महं० कृ. ७ रवि०
धनसिंह के श्रेयोर्थ. . लाडोल के श्री पार्श्वनाथ-जिनालय में पंचतीर्थी सं० १५१० पार्श्वनाथ तपा० रनशेखर- उंडावासी श्रे० गांगों की स्त्री टीबहिन के पुत्र गहिदा ने
सहि स्वश्रेयोर्थ...
संडेसर के श्री आदिनाथ जिनालय के गर्भगृह में सं० १४८५ ज्ये० मुनिसुव्रत- तपा० सोमसुन्दर- प्रा. ज्ञा० श्रे० भोजराज की स्त्री पान्हदेवी के पुत्र श्रे०
शु० १३ स्वामि सरि जयता ने स्वभा० जयतलदेवी आदि कुटुम्ब के सहित.. सं० १५०७
शांतिनाथ तपा० रत्ननशेखर- प्रा. ज्ञा० श्रे० वरसिंह ने स्वस्त्री वील्हणदेवी, पुत्र श्रे
सूरि लापा भा० सूदी आदि के सहित स्वमाता-पिता के श्रेयोर्थ. सं. १५२७ श्रेयांसनाथ- तपा० लक्ष्मीसागर- महिगाल (साणा)वासी प्राज्ञा० गां० श्रे० पर्वत के पुत्र
परि नरपाल ने भा० नागलदेवी, वृद्धभ्राता झांगट, धर्मिणी,
पुत्र सहसादि के सहित. सं० १५६४ ज्ये० संभवनाथ ......... बालीवासी प्रा० ज्ञा० ऋ० गदा की स्त्री हलीदेवी के शु० १३ शुक्र०
पुत्र बड़ा की स्त्री कमलादेवी के पुत्र देवदास ने स्वभा०
सोनदेवी, भ्राता गेरा आदि के सहित स्वश्रेयोर्थ.
श्री चन्द्रप्रभुजी के गर्भगृह में सं० १५३३ पौ० मुनिसुव्रत ......... प्रा० ज्ञा० श्रे० प्राभा ने स्वस्त्री बाई, पुत्र श्रे० धुरकण शु०२
मा० जीविणीदेवी प्रमुखकुटुम्ब के सहित.
जै० धा०प्र० ले० सं० भा०१ ले०४५१। प्रा० जै० ले० सं० भा० २ ले०४६५,४६३ । जै० घा०प्र०ले०सं०भा०१ले०४५४,४७७,४७६,४७५,४७८,४८०।