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प्राग्वाट-इतिहास
[तृतीय
हरि
करबॅटिया पेपरेंदर के श्री अभिनन्दन-जिनालय में प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र. प्राचार्य प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १५१४ शीतलनाथ तपा० रनशेखर- मेहतावासी प्रा० ज्ञा० श्रे० सोमचन्द्र की स्त्री वारूदेवी के
सरि पुत्र पसराज ने स्वभा० गोमतिदेवी, भ्रा० समधर पुत्र
शिवादि के सहित स्वश्रेयोर्थ.
श्री शांतिनाथ-जिनालय में चोवीशी सं० १५२३ माघ सुविधिनाथ तपा० लक्ष्मीसागर-प्रा. ज्ञा० श्रे० केन्हा की स्त्री हंसादेवी के पुत्र श्रे० खेता शु० ६ रवि०
सरि की स्त्री खेतलदेवी के पुत्र भीमसिंह ने. बीसनगर के श्री गोड़ीपार्श्वनाथ-जिनालय के गर्भगृह में सं० १५२५ माघ वासुपूज्य तपा० सुधानंद- प्रा. ज्ञा० श्रे० काजा भा० राजूदेवी के पुत्र श्रे० महणा ने कु०६
सरि स्वभा० माणकदेवी, पुत्र करणादि के सहित.
श्री शांतिनाथ-जिनालय में सं० १५२४ वै० पार्श्वनाथ तपा० लक्ष्मीसागर- अजदरपुरवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० वाछा की स्त्री जसमादेवी
के पुत्र झूटा मा० हीरादेवी के पुत्र गुणिमा ने स्वभा०
रामतिदेवी, भ्रात नाना, वीरादि के सहित. सं० १५३५ माघ अरनाथ उदयसागरसरि प्रा० ज्ञा० मं० रामा की स्त्री हेमादेवी ने पंचम्युद्यापन शु०६ सोम०
पर प्रतिमाचक्र करवाया. सं० १५७० माष कुन्थुनाथ नागेन्द्रगच्छीय- प्रा. ज्ञा० श्रे० अमा ने स्त्री उमादेवी, पुत्र जीवराज, सुरा शु०१३मं०
हेमसिंहसरि भा० सुहवदेवी पुत्र हरराज के सहित माता-पिता के श्रेयोर्थ. सं. १५८१ माघ शांतिनाथ निगमप्रभावक- पत्तनवासी प्रा०ज्ञा० श्रे० आसराज की स्त्री लहिफूदेवी के पुत्र शु० १० शुक्र० आणंदसागरसूरि दो. गांगा ने स्वभा० पद्मावती, द्वितीया भा० हीरादेवी,
पुत्र वीसलसिंह भा० विमलादेवी पुत्र श्रीचंद्रादि के सहित.
श्री कल्याणपार्श्वनाथ-गर्भगृह में सं० १५२४ वै० शीतलनाथ
सलखणपुरवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० नरसिंह की स्त्री नागलदेवी के पुत्र जयंत, भ्रात पाना भा० हीरादेवी, पुत्र महीराज, जिनदासादि के सहित श्रे० पाना ने पिता माला प्रमुख
स्वपूर्वजों के श्रेयोर्थ. " पार्श्वनाथ
प्रा० ज्ञा० श्रे० पातल की स्त्री चांपूदेवी के पुत्र श्रे० गुण
राज ने स्वभा० नागनदेवी, पुत्र टीन्हा एवं स्वश्रेयोर्थ. जै० धा० प्र० ले० सं० भा० १ ले० ४८२, ४६०, ५०२, ५१७, ५११, ५१५, ५१८, ५२६, ५३२ ।