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प्राग्वाट-इतिहास:
[तृतीय
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__ श्री चतुर्मुख-जिनालय में प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० प्राचार्य प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १४८४ वै० विमलनाथ , तपा० सोमसुन्दर- प्रा० ज्ञा० श्रे० गणसिंह की स्त्री गच्छरदेवी के पुत्र नरदेव
परि ने स्वपिता-माता के श्रेयोर्थ. . सं० १४८६ आषाढ़ सुपार्श्वनाथ ......... प्रा० ज्ञा० श्रे० हवसरसिंह की स्त्री वर्जुदेवी के पुत्र सारंग शु० २
ने स्वभा० साल्ही के सहित. सं० १५०४ ज्ये० पार्श्वनाथ उपकेशगच्छीय प्रा० ज्ञा० महं० गीला भा० पूरादेवी के पुत्र पालचन्द्र ने १० ११ मंगल.
देवगुप्तसरि स्वश्रेयोर्थ. सं० १५०५ पौ० संभवनाथ वीरचन्द्रसरि प्रा. ज्ञा. श्रे..." क. ३ रवि०
श्री मादीवरनाथ के गर्भगृह में सं० १३३६ वै० शांतिनाथ ......... प्रा० ज्ञा० श्रे० भासल के पुत्र सिद्धपाल ने. २०११ शुक्र०
श्री कुन्थुनाथ के गर्भगृह में सं० १४६४ कुन्धुनाथ तपा० सोमसुन्दर- प्रा० ज्ञा० श्रे० लाला की स्त्री जासुदेवी के पुत्र प्रासा ने.
सरि सं० १५७६ वै० अभिनन्दन तपा० हेमविमल- सदरपुरवासी प्रा० ज्ञा० ० तोड़ा की स्त्री लाछी के शु०६ सोम०
सरि पुत्र श्रे० शाणा ने स्वभा० जीवीदेवी, पुत्र राजा, हीरादि,
पितृव्य श्रे० नरवदादि के सहित.
अहमदनगर के श्री महावीर-जिनालय में सं० १५०४ माघ शांतिनाथ तपा० जयचंद्रसरि प्रा. ज्ञा० श्रे० देवराज भा० कर्मादेवी के पुत्र सहसराज कु.हरवि०
ने स्वभा० चमकूदेवी, पुत्र सायर, पारायण, भायर,
माणिक, मंडन, धर्मादि कुटुम्बीजनों के सहित स्वश्रेयोर्थ.
श्री अजितनाथ-जिनालय में सं० १५०४ आषाढ सुपार्श्वनाथ तपा जयचन्द्रमरि प्राज्ञा ० श्रे० चांपा भा० हमीरदेवी के पुत्र पुरा ने स्वमा० शु०२
माजूदेवी, पुत्र दलादि के सहित प्रात सायर एवं स्वश्रेयोर्थ.
सूरत के जिनालय में (मोटी-देसाई पोल) सं० १५४३ ज्ये० संभवनाथ बृ० तपा० उदय- वीसलनगरवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० रामसिंह भा० धर्मिणी के शु० ११ शनि०
सागरसूरि पुत्र श्रे० आसराज ने स्वभा० कस्तूरदेवी, पुत्र तेजपाल,
__ भ्रात थाईश्रा, कुरां, अमीपाल के सहित. जै० घा०प्र०ले० सं० भा०१ले०५६४,५५८, ५६३,५६०,५६८,५६६,५७०, ५८७,५६६,६०५।