________________
प्राग्वाट-इतिहास:
[तृतीय
कृ०१
प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० प्राचार्य प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १५२१ वै० सुमतिनाथ तपा० लक्ष्मी- प्रा० ज्ञा० म० गोधा की स्त्री मीली के पुत्र मेघराज ने
सागरमरि स्वभा० माजू पुत्र हीरा, पर्वतादि के सहित वासा ग्राम में. सं० १५२३ मा० धर्मनाथ , कासदराग्राम में प्रा० ज्ञा० श्रे० पान्हा की स्त्री रूहिणी के
पुत्र माल की स्त्री जइतूदेवी ने स्वश्रेयोर्थ. सं० १५२७ माघ• शीतलनाथ
प्रा० ज्ञा० श्रे० नउला की स्त्री मधूदेवी, वइजदेवी के पुत्र पाला, आसा, हासा ने मा० जम्, पुत्र झांझणादि के
सहित सिरउत्राग्राम में. सं० १५३२ वासुपूज्ज
सांगवाड़ावासी प्रा० ज्ञा० श्रे० नरपाल की स्त्री भट्ट के पुत्र मेघराज ने भा० कर्णदेवी, प्राव राणादि कुटुम्बसहित
स्वश्रेयोर्थ. सं० १५३२ मुनिसुव्रत
सांगवाड़ावासी प्रा० ज्ञा. श्रे. सिंघा की स्त्री गौरी के पुत्र कोहा ने स्वभा० राजूदेवी, पुत्र रहिआ, जावड़, भ्रात
मेघराज, हेमराज आदि कुटुम्बसहित श्रेयोर्थ. सं० १५३२ का० आदिनाथ
सांगवाड़ावासी प्रा० ज्ञा० श्रे० पूजा की स्त्री चांपलदेवी
के पुत्र वेलराज ने स्वभा० सुन्दरदेवी कुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५३३ शांतिनाथ
सांगवाड़ावासी प्रा० ज्ञा० श्रे० धरणा की स्त्री लाछी के पुत्र लुणा ने स्वभा० कला, पुत्र रामा, रामसिंह, कीका
आदि कुटुम्बसहित स्वश्रेयोथे. सं० १५३३ वै० महावीर
अर्बुदाचलवासी प्रा. ज्ञा० श्रे० सायर की स्त्री भरमीदेवी शु० १२
के पुत्र झांझण ने भा० वीज , पुत्र जाणा भा० धौरी पुत्र
तेजराज, पुत्री सारु प्रमुख कुटुम्बसहित. सं० १५३४ मा० सुविधिनाथ
प्रा० ज्ञा० श्रे० धर्मराज की स्त्री तेजूदेवी के पुत्र भीमचन्द्र कु. २ सोम०
ने भा० चांपूदेवी, पुत्र झांझण भार्या धरणू आदि के सहित
स्वश्रेयोथे. सं० १५३५ मा० कुन्थुनाथ ___ तपा० लक्ष्मी- प्रा. ज्ञा० श्रे. वेलराज ने स्वस्त्री गुदठि(१), पुत्र सांडा स्त्री
सागरसरि गंगादेवी पुत्र हीराचन्द्र, उदादिकुटुम्बसहित. सं० १५५२ वै०. वासुपूज्य तपा० हेमविमल- प्राज्ञा श्रा० लाखूदेवी के पुत्र मेरा ने पुत्र भोजराज, ऊग
परि डादिकुटुम्बसहित.
म०प्र० ० ले० सं० ले० ५४०,५४१,५४२,५४३,५४४, ५४५, ५४६, ५४७, ५४८, ५५०, ५५१ ।