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प्राग्वाट-इतिहास ::
मांडल के श्री पार्श्वनाथ जिनालय में प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० आचार्य प्रा. ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १५२२ माघ० अंबिका तपा० लक्ष्मी- प्रा. ज्ञा० श्रे० लूणा भा० लुणादेवी के पुत्र वईरा ने. शु० १३
सागरसूरि सं० १५२३ वै० कुन्थुनाथ वृ० त० ज्ञान- बीबीपुरवासी प्रा. ज्ञा० श्रे० भूभव भा० लालीदेवी के पुत्र शु० १३ गुरु०
सागरसूरि शिवराज ने भा० टबीदेवी, पुत्र वझामुख्य समस्त पुत्रों के
सहित स्वश्रेयोर्थ.
श्री शांतिनाथ-जिनालय में सं० १५४१ संभवनाथ- तपा० लक्ष्मी- प्रा० ज्ञा० म० देवराज भार्या रूपिणी के पुत्र मं० पुजा
चोवीशी सागरसूरि ने भार्या चंपादेवी प्रमुख-कुटुम्बसहित.
घोघा के श्री जील्लावाला (जीरावाला) जिनालय में सं० १५२३ फा० कुंथुनाथ आगमगच्छीय प्रा. ज्ञा० मं० सदा की भार्या सारूदेवी के पुत्र म. कृ.४ सोम०
देवरत्नसरि भोजराज की स्त्री साधू नामा ने स्वश्रेयोथे.
श्री नवखण्डा-पार्श्वनाथ-जिनालय में सं० १५२६ फा० धर्मनाथ तपा० लक्ष्मी- प्रा० ज्ञा० दो० भोटा की स्त्री मांजूदेवी के पुत्र वासण की कु० ३ सोम०
सागरसूरि स्त्री जीविणि नामा ने देवर सोढ़ा, कर्मसिंह, पुत्र गोरा,
वीरादि सहित स्वश्रेयोर्थ.
सादड़ी के श्री जिनालय में सं० १५२३ वै० शांतिनाथ- तपा० लक्ष्मी- प्रा. ज्ञा० श्रे० वासड़ की स्त्री टबकूदेवी के पुत्र श्रे० चोवीशी सागरसूरि हरपति ने भा० हंसीदेवी, पुत्र झाला, रता, झांझण, झांटादि
कुटुम्ब-सहित स्वश्रेयोथे.
गंधार के श्री जिनालय में सं० १५४७ वै० अंबिका सुमतिसाधुसरि प्रा० ज्ञा० श्रे० सं० पासवीर की स्त्री पूरीदेवी ने स्वकुटुम्ब शु० ३ सोम०
के श्रेयोर्थ. सं० १५६१ वै० अनंतनाथ ....... गंधारवासी प्रा० ज्ञा श्रे० पर्वत के पुत्र श्रे० जकु के पुत्र क ७ शुक्र०
धर्मसिंह अमीचन्द्र ने.
सोजींत्रा के श्री जिनालय में । सं० १५२३ वै० कुन्थुनाथ तपा० लक्ष्मी- सोजींत्रावासी प्रा. ज्ञा० श्रे० श्रासवीर, श्रीपाल, श्रीरंगादि कु० ४ गुरु०
सागरमरि ने कुटुम्ब के श्रेयोर्थ.
प्रा०ले० सं० भा० १ ले० ३६३,३७५, ४८०,३७०, ४२२,३७४ । खे० प्रा० ० इति० ले०६,६,२०॥