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४२० ]
प्र० वि० संवत्
सं० १५७६ ० शु० १२ रवि ०
सं० १५३७ वै०
शु० ५ बुध०
सं० १५१३
सं० १५१६ वै० शु० ३
प्र० प्रतिमा
आदिनाथचौवीशी
सं० १३६०
सुमतिनाथ
मिनाथ
कुंथुनाथ
.: प्राग्वाट - इतिहास ::
श्रेष्ठ थी शाह के जिनालय में चौवीशी प्र० श्राचार्य
महावीर
साधु पू० चन्द्रसूर
मानपुरा ग्राम के श्री जिनालय में
सं० १५[०]७ आषाढ आदिनाथ तपा० रत्न- प्रा० ज्ञा० श्रे० रत्नचन्द्र की स्त्री जइतलदेवी के पुत्र श्रे
कृ० ८
नया ने.
शेखरसूरि मारोल ग्राम के श्री जिनालय में
प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि चंपकनगरवासी प्रा० ज्ञा० ० शिवराज ने स्वस्त्री धर्मिणी, पुत्र हंसराज भा० हांसलदेवी, भ्रातृ वच्छराज भा० माणकदेवी पुत्र रवजी भा० हर्षादेवी पुत्र मूलराज के सहित स्वश्रेयोर्थ
श्रे० चांदमलजी के जिनालय में
तपा० लक्ष्मी- प्रा० ज्ञा० पत्तनवासी श्रे० सहसा की स्त्री संपूरी ने पुत्र मेलचन्द्र भा० फदकूदेवी, द्वि० पुत्र सिंहराज आदि के सहित स्वयोर्थ
सागरसूरि
श्री पार्श्वनाथ - जिनालय में पंचतीर्थी
1 तृतीय
तपा० रत्नशेखर- प्रा० ज्ञा० मं० केल्हा की स्त्री कील्हणदेवी के पुत्र नाना चंपालाल ने स्वभा० गुरीदेवी, पुत्र मण्डन आदि के सहित स्वपितृव्य मं० कान्हा के श्रेयोर्थ
सूरि
अर्बुदप्रदेश (गुर्जर - राजस्थान)
तपा० रत्नशेखरसूरि
के
निजामपुर में प्रा० ज्ञा० श्रे० वेलचंद्र की स्त्री धरणूदेवी पुत्र ० सालिग ने स्वभा० श्रीदेवी, भ्रातृ वानर, हलू प्रमुखकुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ.
भटाणा ग्राम के श्री जिनालय में सर्वदेवर
प्रा० ज्ञा० ० वीरा की स्त्री कील्हणदेवी के पुत्र नरसिंह ने आ० पासड़ आदि के सहित माता-पिता के श्रेयोर्थ.
जै० ले ० सं ० भा० ३ ले० २४५७, २४६६, २५८३ । श्र० प्र० जै० ले० सं० ले० ४२, ६०, ६१ ।