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खण्ड ]::
प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा
सं० १५०३ आषाढ़
कृ० १३ सोम ०
सं० १५११ ज्ये०
शु० ५
सं० १५१६ मार्ग
शु० १
सं० १५१८ माघ
शु० १३ गुरु०
सं० १५३४ वै० कृ० १०
विभिन्न प्रान्तों में प्रा०ज्ञा० सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें - राजस्थान - जैसलमेर ::
प्र० आचार्य
प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि
जयचंद्रसूरि
प्रा० शा ० ० मांजू के पुत्र ० खीमा ने भ्रा० रणमल भा० केतश्री के सहित दो बिंब.
प्रा० ज्ञा० श्रे भांपर की स्त्री भूनादेवी के पुत्र समर ने स्वश्रेयोर्थ.
सं० १५३५ माघ कृ० ६ शनि ०
सं० १५०८
पद्मप्रम
(२)
श्रादिनाथ
संभवनाथ
चन्द्रप्रभ्र
सं० १३३३ ज्ये०
शु० १३ शुक्र ०
सं० १३४६ वै० शु० १. चौवीशी
संभवनाथ
सुमतिनाथ
सुमतिनाथ
सं० १४६३ आषाढ़ पार्श्वनाथ
शु० १० बुध ०
तपा० रत्न
शेखरसूरि
प्रा० ज्ञा० ० नरसिंह के पुत्र श्रे० राघव की पत्नी के पुत्र कर्मसिंह की स्त्री लींबीबाई की पुत्री श्रीलवी नामा ने आता हरिया, भ्रातृज महिराज, भरण, राजमल के सहित स्वश्रेयोर्थ.
पूर्णि० भीमपल्लीय प्रा० ज्ञा० ० मूंजा भा० जासू के पुत्र बाछा ने (वत्सराज) जयचन्द्रसूरि स्वभार्या : : त्सादेवी), पुत्र मेलराज, कुरपाल के सहित स्वश्रेयोर्थ
सूरतवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० धर्मचन्द्र की स्त्री राजकुमारी के पुत्र वणवीर स्त्री भूरी के पुत्र महराज ने कुटुम्बसहित
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तपा० लक्ष्मीसागरसूरि
श्री शीतलनाथ - जिनालय में पंचतीर्थी
तपा० लक्ष्मीसागरसूरि
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तपा रत्नशेखर
सूर
प्रा०ज्ञा ० व्य० पुण्यपाल के पुत्र लूणवयण ने स्वपिता के श्रेयोर्थ
प्रा० ज्ञा० शा ० गेल्हा
ककरावासी प्रा०ज्ञा० ० वस्ति ल की स्त्री वील्हणदेवी के पुत्र पूजा ने स्वभा० सोभागदेवी, पुत्र पर्वत, भ्र० लाबा, धूता आदि के सहित स्वश्रेयोर्थ
श्री महावीर जिनालय में
प्रा० ज्ञा० श्रे० रूदा की स्त्री ऊली के पुत्र रणसिंह ने स्वभा० पूरी भ्रा० धणसिंह आदि परिजनों के सहित स्वश्रेयोर्थ श्री सुपार्श्व - जिनालय में
मड़ाहड़गच्छीय प्रा० ज्ञा० श्रे० हेमराज की स्त्री भा० हीरादेवी के पुत्र श्रीधनचन्द्रसूरि जयराज ने श्रेयोर्थ
जै० ले ० सं० भा० ३ ० २३१८ - २३१६, २३३०, २३३६, २३४२, २३५३, २३८७, २३८८. २३६५, २४१६,
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