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खण्ड]
: तीर्थ एवं मन्दिरों में प्रा० ज्ञा० सद्गृहस्थों के देवकुलिका-प्रतिमाप्रतिष्ठादिकार्य--श्री पिण्डरवादक ::
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श्री पिण्डरवाटक (पींडवाड़ा) के श्री महावीर-जिनालय में प्रा० ज्ञा०
सद्गृहस्थों के देवकुलिका-प्रतिमाप्रतिष्ठादि कार्य
श्रेष्ठि गोविन्द
वि० सं० १६०३ सिरोहीराय दुर्जणसिंहजी के राज्यकाल में प्रा० ज्ञा० शाह गोविन्द नामक एक प्रसिद्ध पुरुष हुआ है । उसकी स्त्री का नाम धनीकुमारी था । धनीकुमारी के केन्हा नामक पुत्र हुआ, जिसका विवाह चापलदेवी और गुणदेवी नामा दो कन्याओं से हुआ था । इनके जीवराज, जिनदास और केला नामक तीन पुत्र उत्पन्न हुये । शा० जीवराज ने वि० सं० १६०२ फाल्गुण कृष्णा ८ को चालीस दिन का अनशन तप करके पारणा किया था। इस महातप के उपलक्ष में शा. गोविन्द ने वि० सं० १६०३ के माघ कृ. ८ शुक्रवार को पिंडरवाटक (पीडवाड़ा) के अति प्रसिद्ध एवं प्राचीन श्री महावीर-जिनालय में शाह जीवराज के श्रेयार्थ देवकुलिका करवा कर उसको तपागच्छीय श्रीमद् कमलकलशसरि के पट्टालंकार श्रीमद् विजयदानसरि के करकमलों से प्रतिष्ठित करवाई ।१
शाह थाथा
वि० सं० १६०३ सिरोहीराय श्री दुर्जनसिंहजी के विजयीराज्यकाल में सिरोहीनिवासी शाह थाथा ने अपनी स्त्री गांगादेवी, पुत्र और पुत्रवधू कश्मीरदेवी, पुत्री रंभादेवी के सहित वि० सं० १६०३ माघ कृ. ८ शुक्रवार को पीडवाड़ा के अति प्राचीन एवं महामहिम श्री महावीर-चैत्यालय में स्वस्त्री गांगादेवी के श्रेयार्थ देवकुलिका करवा कर प्रतिष्ठित करवाई।२
कोठारी छाला
वि० सं० १६०३ सिरोहीराय श्री दुर्जणसिंहजी के राज्यसमय में सिरोही में कोठारी छाछा नामक श्रीमंत सद्गृहस्थ रहता था। उसकी स्त्री का नाम हांसिलदेवी था। हांसिलदेवी की कुक्षी से कोठारी श्रीपाल नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। श्रीपाल के खेतलदेवी, लाछलदेवी और संसारदेवी नाम की तीन स्त्रियाँ थीं, जिनकी कुक्षियों से उसको तेजपाल राजपाल, रत्नसिंह, रामदास, करणसिंह और सहसकिरण नाम के पुत्र प्राप्त हुये थे।
शाह छाछा ने तपागच्छीय श्री हेमविमलमूरि के पट्टालंकार श्री आणंदविमलसरि के पट्टधर श्रीमद् विजयदानसूरि के करकमलों से पीडवाड़ा के अति प्राचीन एवं गौरवशाली महावीर-जिनालय में वि० सं० १६०३ माघ कु. ८ शुक्रवार को श्रा० लाछलदेवी और तेजपाल के श्रेयार्थ दो देवकुलिकाओं को प्रतिष्ठित करवाई तथा: वि० सं० १६१२ फाल्गुण कृ० ११ शुक्रवार को सिरोही के महाराजा श्री उदयसिंहजी के राज्य-काल में उपरोक
१-० ले० सं०भा०१ ले०६४६। २-० ले०सं०भा०१ले०६४६.