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खण्ड]
विभिन्न प्रान्तों में प्रा०ज्ञा० सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें-राजस्थान-जयपुर :
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जयपुर
श्री सुपार्श्वनाथ-पंचायती-जिनालय में पंचतीर्थयाँ प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० आचार्य प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १४३७ वै० पार्श्वनाथ रत्नप्रभसरी प्रा. ज्ञा० श्रे० गोहा स्त्री ललितादेवी के पुत्र मुञ्ज ने कृ० ११ सोम०
__ स्वपिता-माता एवं' ता के श्रेयोर्थ. सं० १५०२ वै० कुथुनाथ तपा० रत्नशेखर- प्रा० ज्ञा० श्रे० लाखा भार्या लाखणदेवी के पुत्र सामन्त ने कृ. ५
सूरि स्वभार्या श्रृंगारदेवी, पु० पान्हा,रत्ना, डीडा आदि के सहित. सं० १५३० माघ नमिनाथ तपा० लक्ष्मीसागर- पालणपुरवासी प्रा. ज्ञा० श्रे० नरसिंह भा० नामलदेवी कृ०२ शुक्र०
सरि के पुत्र कान्हा ने स्वस्त्री सांवलदेवी, पु. खीमा, प्रखू ,
माणिक भार्या सीचू के श्रेयोर्थ. सं० १५३० माघ मुनिसुव्रत
प्रा. ज्ञा० शा. शिवराज भार्या संपूरी के पुत्र पाल्हा कृ०१०बुध०
भार्या पाल्हणदेवी के पुत्र नाथा ने भात ठाकुरसिंह के
सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५३४ फा० शीतलनाथ , वासानिवासी प्रा० ज्ञा० व्य० पान्हा भार्या देसू के पुत्र शु० २
पर्वत ने स्वभार्या भर्मी आदि प्रमुख परिवार के सहित
स्वश्रेयोर्थ. सं० १५६६ फा० आदिनाथ तपा० हेमविमल- प्रा. ज्ञा० श्रे० जीवा भार्या रंगीदेवी के पुत्ररत्न डाहीमा, शु० ३ सोम०
सूरि भ्राता श्रीवंत ने स्वभार्या रत्नादेवी, द्वि. दाडिमदेवी,
पुत्र खीमा, भीमादि के सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५८७ पौ०. चन्द्रप्रभ श्रीहरि प्रा. ज्ञा० श्रे० काका भार्या बांकदेवी के पुत्र पहिराज क०६ रवि०
भार्या वरवांगदेवी ने स्वश्रेयोर्थ.
श्री सुमतिनाथ-जिनालय में पंचतीर्थयाँ सं० १५१७ चै० पार्श्वनाथ तपा० प्रा० ज्ञा. श्रे० लक्ष्मण की स्त्री साधूदेवी के पुत्र श्रे० शु० १३ गुरु०
मुनिसुन्दरमरि गोवल ने स्वभार्या राजूदवी के सहित स्वश्रेयोर्थ . बै० ले० सं० भा० २ ले० ११३६ ११४६, ११६०,११६१,११६४, ११७०, ११७२,११८५। ।