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खण्ड::
विभिन्न प्रान्तों में प्रा०ज्ञा० सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित-प्रतिमायें-राजस्थान-नागौर ::
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जसोल (जोधपुर-राज्य) के जिनालय में पंचतीर्थी प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० आचार्य प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १५१६ माघ कुंथुनाथ तपा० लक्ष्मी- प्रा० ज्ञा० श्रे० मीचत की स्त्री नासलदेवी के पुत्र सूचा ने शु० शुक्र०
सागरसूरि स्वभा० चांददेवी, माल्हीदेवी, पुत्र मेरा, तोलचन्द्र के सहित
स्वश्रेयोर्थ बाडमेर (जोधपुर-राज्य) के यति इन्द्रचन्द्रजी के उपाश्रय में सं० १५१४ सुमतिनाथ तपा रत्नशेखर- प्रा० ज्ञा० श्रे० रूल्हा ने स्त्री वर्जू, पुत्र वीरा, माणिक,
सूरि वत्सादि के सहित पितृव्य शा० चांपा के श्रेयोर्थ.
मेडता (जोधपुर-राज्य) के श्री वासुपूज्य-जिनालयमें सं० १५३२ ज्ये० शांतिनाथ बृत्तपा जिनरत्न- प्रा० ज्ञा० श्रे० आशधर ने स्त्री गांगी, पुत्र मदन, दमा, कृ० १३ बुध०
सूरि जिनदास, जीवराज पुत्र-पौत्रादि के सहित स्वश्रेयोर्थ.
धर्मनाथ-जिनालय में सं० १५५६ चै० चन्द्रप्रभ अंचलगच्छीय- प्रा० ज्ञा० श्राविका संलखणदेवी के पति ने अपने पुत्र शु०७ सोम०
बर्द्धमानगणि लोला, श्रे० पीमा ने स्त्री खेतलदेवी के सहित प्रात्मश्रेयोर्थ.
श्री चिंतामणि-पार्श्वनाथ-जिनालय में सं० १५१० ज्ये. मुनिसुव्रत तपा-रत्नशेखर- पीपलियावासी प्रा० ज्ञा० श्रे० तीरा ने स्त्री वीरदेवी के पुत्र
सरि डुङ्गर, भ्रातृ खेतसिंह, सहसा, समरदेवी (बहिन),धारकमी(?)
भार्या जासलि तथा भ्राता कर्मसिंह के सहित. सं० १५३२ ज्ये० सुविधिनाथ तपा० लक्ष्मी- प्रा. ज्ञा० श्रे० मही स्त्री राणी के पुत्र हीरा की स्त्री भर्मीशु०३ बुध०
सागरसूरि नामा ने स्वश्रेयोर्थ. सं० १५५२ माघ आदिनाथ कमलकलशसूरि प्रा० ज्ञा० श्रे० पुजा स्त्री रकम के पुत्र सोमराज ने स्वस्त्री
गौरी पुत्र हर्षादि के सहित. नागौर (जोधपुर-राज्य) के श्री आदिनाथ-जिनालय में पंचतीर्थयाँ सं० १४८५ ज्ये० संभवनाथ पूर्णिमापक्षीय प्रा० ज्ञा० श्रे० सादा स्त्री भादी के पुत्र सहसा स्त्री सीताशु०७ मंगल.
सर्वानंदसूरि देवी के पुत्र पान्हा ने स्वश्रेयोर्थ सं० १५०७ का० संभवनाथ उएसगच्छीय प्रा. ज्ञा० कोठारी लाखा मा० लाखमदेवी के पुत्र पर्वत ने शु०११ शुक्र०
ककसरि पुत्र भोला, डाहा, नाना, इङ्गर के सहित
जैले० सं०मा०२ ले०१८८४ । भा०१ले०७४२,७५५,७६२,७७५, ७७७,७७६ | मा०२ले०१२४१, १२५०।