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:: प्राग्वाट-इतिहास:
[मृतीय
प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० आचार्य प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १५५७ ज्ये० विमलनाथ मडा. रत्नपुरीय प्रा० ज्ञा० श्रे० साजण स्त्री मान्हूदेवी के पुत्र डगड़ा के शु०१०
गुणचन्द्रसरि भ्राता देवराज ने स्वश्रेयोर्थ स्वस्त्री देवलदेवी के सहित. सं० १८०८ ज्ये० पार्श्वनाथ तपा० उदयपुरवासी भण्डारी जीवनदास की स्त्री मटकूदेवी ने. शु०६ बुध०
विजयधर्मसरि
श्री पार्श्वनाथ-जिनालय में (सेठों की बाड़ी) पंचतीर्थी-प्रतिमायें सं० १६२८ वै० धर्मनाथ- तपा० हीर- नारदपुरीवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० टोला के पुत्र चूड़ाने स्वभार्या शु० ११ बुध० पंचतीर्थी विजयसूरि पानदेवी, पुत्र लाधु, हीरा आदि के सहित स्वश्रेयोर्थ
श्रीऋषभदेव-जिनालय में (सेठों की हवेली के पास) सं० १५२६ वै० कुंथुनाथ तपा० लक्ष्मी- झाड़ोलीग्रामवासी प्रा०ज्ञा० श्रे० चापसिंह की स्त्री पोमादेवी कु० ४ शुक्र०
सागरसूरि के पुत्र साँगा ने स्वभा० दई, पुत्र करण, भ्राता सहसमल
___आदि के सहित स्वपिता-माता के श्रेयोथ करेड़ा (उदयपुर-राज्य) के श्री पार्श्वनाथ-जिनालय में सं० १३३४ वै० शान्तिनाथ- ...... प्राज्ञा० अंचलगच्छानुयायी महं० साजण, महं० तेजपाल के शु० ११ शुक्र० प्रतिमा
पुत्र झाँझण ने पुत्र महं० मण्डलिक, महं० मालराज, महं०
देवीसिंह, महं० प्रमत्तसिंह के सहित स्वमाता-पिता के श्रेयोर्थ. सं० १३८१ ज्ये. पार्श्वनाथ तपा० सोम- प्रा० ज्ञा० श्रे० धीना की स्त्री देवलदेवी के पुत्र चढूजा ने
तिलकसरि स्वपिता-माता के श्रेयोर्थ सं० १४०८ वै०
सैद्धान्तिक प्रा०ज्ञा० श्रे० रीस्तरा(?), पद्म, साहड़, साकल, श्रे० देवसिंह शु० ५
माणिकचंद्रसूरि ने सं० १४८५ ज्ये० मुनिसुव्रत तपा० सोमसुन्दर- प्रा. ज्ञा० श्रे० कालू की स्त्री कामलदेवी के पुत्र खेतमल ने शु० १३
सूरि स्वभा० हरमादेवी के सहित* १५०६ माघ शु० वासुपूज्य- अंचल० जय- प्रा. ज्ञा० सं० कर्मट की स्त्री माजू के पुत्र उधरण ने स्वस्त्री
५ शुक्र० पंचतीर्थी केसरिसूरि सोहिनीदेवी, पुत्र आल्हा, वीसा, नीसा के सहित स्वश्रेयोर्थ सं० १५२५ मार्ग. शांतिनाथ तपा० लक्ष्मी- प्रा. ज्ञा० श्रे० वाधा की स्त्री गाऊदेवी के पुत्र माला ने
सागरसूरि स्वभा० पान्हूदेवी, पुत्र पर्वत मा० नाई आदि के सहित
स्वश्रेयोर्थ
जै० ले० सं० भा० २ ले० ११३०, १११६, १८८१, १६०२, १६१६, १६२४, १६२७, १६११, १६३८. प्रा० ले० सं०भा० ले० ३४.