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प्राकार-इतिहास::
[तृतीय
सरि
प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० प्राचार्य प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १४८६ ज्ये० पार्श्वनाथ- तपा. सोमसुन्दर- वीसलनगरवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० सूरा स्त्री पोमादेवी के पुत्र कृ० ११ चौवीशी मूरि श्राशराज ने स्वस्त्री रूपिणी, पुत्र राउल,माणिकलाल,जोगा
आदि के सहित स्वभ्राता गौला और स्वपुत्र सारंग के
श्रेयोर्थ. सं० १४६२ ज्ये० नमिनाथ
प्रा. ज्ञा० श्रे० अरसिंह स्त्री आम्हणदेवी के पुत्र चाचा ने कृ० ११
स्वभार्या चाहणदेवी, पुत्र तोलराज, बाला, सुहड़, राणा,
पांचा आदि के सहित स्वपत्र डोसा के श्रेयोर्थ. सं० १५०८ ज्ये० वर्द्धमान तपा-रत्नशेखर । कूणीगिरि (कूणगिर) वासी प्रा० ज्ञा० श्रे० सोमराज स्त्री शु० १३ बुध
धर्मिणी के पुत्र मालराज ने लालचन्द्र भार्या गेलूदेवी,
रंभादेवी के सहित स्वश्रुयोर्थ. सं० १५०६ वै० आदिनाथ
प्रा० ज्ञा० श्रे० मेघराज भार्या हीरादेवी के पुत्र आशराज पंचतीर्थी
डोडा ने भार्या केल्हू, आन्हा पुत्र शिखर आदि के
सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५१७ पौ० शांतिनाथ
अहमदाबादवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० डूंगर स्त्री सुहासिनी के कृ. ८ रवि०
पुत्र लक्ष्मणसिंह ने स्वस्त्री सोनादेवी, पुत्र नागराज भादि
के सहित स्वपिता के श्रेयोर्थ. सं० १५१७ फा० विमलनाथ- स. लक्ष्मी- सीणरवासी प्रा. ज्ञा० श्रे० चूड़ा स्त्री गउरी के पुत्र देन्हा
शु०११शनि० चौवीशी सागरपरि ने स्वस्त्री रूपिणी पुत्र गुरु आदि के सहित स्वश्रेयोर्थ. सं०१५२३ माघ आदिनाथ
आगमियाग्राम में प्रा. ज्ञा० श्रे० घोषा स्त्री जमलू के पुत्र शु०६ रवि०
श्रे० रीड़ी भादि बाछलदेवी की पुत्री हलूदेवी ने
स्वश्रेयोर्थ. सं० १५३३ माघ नमिनाथ अंचलगच्छीय- प्रा. ज्ञा० शा० नाऊ स्त्री हंसादेवी के पुत्र ठाकुरसिंह, शु० १३ सोम०
जयकेसरिपरि वरसिंह के भ्राता वीशराज ने स्वभार्या सोमादेवी, पुत्र
जीणा के सहित. सं० १५४२ फा.
तपा-लक्ष्मी- जालोरगढ़वासी प्रा०ज्ञा० शा. पोखर स्त्री पोमादेवी के पुत्र कृ०२
सागरमरि जसराज ने स्वस्त्री जसमादेवी, भ्राता लाखादि के सहित
स्वश्रेयोथे. सं० १५६६ फा० पार्श्वनाथ तपा०-नंद- प्रा०ज्ञा० श्रे० तोलाराम स्त्री रुक्मिणी के पुत्र गांगा ने स्वस्त्री कु० ६ गुरु०
कल्याणसरि पीबूदेवी, पुत्र लाला, लोला, लाखादि के सहित. ० ले० सं० मा० २ ले० १०२६, १०७६, १०८४, १०८५, १०३०, १०६१, १०६२, १०६७, ११००, ११०३,