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खण्ड ]
:: विभिन्न प्रान्तों में प्रा० झा० सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित-प्रतिमायें-राजस्थान-उदयपुर ::
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प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० आचार्य प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १५६६ वै० धर्मनाथ तपा० हेम- प्रा. ज्ञा० माणकचन्द्र स्त्री रवकूदेवी के पुत्र पार्श्व ने स्वस्त्री कृ० १३ रवि०
विमलसरि ईन्दूमती, पुत्र नत्थमल, सोनपाल आदि के सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५९६ ज्ये०. श्रेयांसनाथ तपा० विजय- ज्यायपुरवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० हापा स्त्री दानी के पुत्र शा० शु० २
दानसूरि सरवण ने स्वस्त्री मनादेवी, भ्राता शा० सामंत स्त्री कर्मादेवी
पुत्र शा० सूरा,सीमा, खेता समस्त परिवारके सहित स्वश्रेयोर्थ.
श्री धर्मशाला में सं १४७७ मार्ग शांतिनाथ पू०प० पद्मा- प्रा० ज्ञा० श्रे० नरसिंह की स्त्री सारूदेवी के पुत्र रामचन्द्र कृ. ४ रवि०
करसूरि ने स्वपिता के श्रेयोर्थ.
___ श्री गौड़ी-पार्श्वनाथ-जिनालय में धातु-प्रतिमायें सं० १४२७ ज्ये० चंद्रप्रभ मलधारी मुनि- प्रा० ज्ञा० दउलसिंह ने पिता ठ० पूनसिंह ठ० प्रीमलदेवी । कृ० १
शेखरसूरि के श्रेयोर्थ. सं० १४२७ ज्ये० आदिनाथ
प्रा. ज्ञा० ४० गोबल धीणिग ने ठ० पूनसिंह ठ० प्रीमल
देवी के श्रेयोर्थ. सं० १४६६ वै. आदिनाथ कोरंटगच्छीय- प्रा. ज्ञा० मं० शोभित भा० लाऊलदेवी के पुत्र भादा शु० ३ सोम०
नत्रसूरि ने पिता-माता के श्रेयोर्थ.. सं० १५०१ माघ सुमतिनाथ तपा० मुनि- प्रा० ज्ञा० श्रे० धणसिंह भा० प्रीमलदेवी के पुत्र लाखा कृ. ५ गुरु०
सुन्दरसरि भा० लाखणदेवी के पुत्र खीमचन्द्र ने स्वश्रेयोर्थ. सं०१५०५ पद्मप्रभ तपा० जयचंद्र- प्रा० ज्ञा० श्रे० माला की स्त्री भादा के पुत्र गोपीचन्द्र ने
सरि भा० सातलदेवी, पुत्र मान्हा, सीहादि कुटुम्बसहित
स्वश्रेयोर्थ. सं० १५०६ माघ आदिनाथ सा० पूर्णिमा- प्रा. ज्ञा. श्रे० मांडण की स्त्री सलखूदेवी के पुत्र भीम___ शु०१० शनि०
पुण्यचंद्रसूरि चन्द्र ने स्वभा० सूलेश्री सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५१० फा० विमलनाथ आगमग- प्रा० ज्ञा० श्रे० रत्ना भा० अमकूदेवी की पुत्री देमई में कृ० ३ शुक्र०
सिंहदत्तमूरि स्वपति के श्रेयोर्थ. सं० १५१२ का० शन्तिनाथ कालिकाचार्य- प्रा. ज्ञा० मं० विमल के पुत्र मं० माकड़ की स्त्री धारूशु० १ रवि०
सं० वीरसूरि देवी के पुत्र पोपा, राघव ने स्वश्रेयोर्थ. सं० १५३६ आषाढ़ सुमतिनाथ कालिकाचार्य- तीनाविगोत्रीय मं० माकड़ की स्त्री धारूदेवी के पुत्र राय शु०३
___ सं० भावदेवपूरि ने स्वस्त्री पूरी, पुत्र धरणा भा० जेठीदेवी, पौत्र सहस
किरण, मांगा भार्या पूतली, मनीदेवी के श्रेयोर्थ. __ जै० ले० सं० भा० २ ले० ११०२, ११०४ । प्रा० ले० सं० १ ले. ११७,७८, ७६,१०१,१८०, २१५, २४६, २६०, २७२, ४७८.