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खण्ड
: श्री जैन श्रमण-संघ में हुये महाप्रभावक श्राचार्य और साधु-खरतरगच्छीय कविवर समयसुन्दर ::
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लोढ़ागोत्रीय शाह शिवराज की अभ्यर्थना से हुई। इसमें गाथा ५३५. ढाल २१० श्लो० ८०० प्रमाण हैं (ली० भण्डार में) ३-दान-शील-तप-भावना-संवाद. सं० १६६२. सांगानेर में । ४-चार प्रत्येकबुद्ध का रास. सं० १६६५ ज्ये० शु० १५. आगरा में। प्रत्येक बुद्ध-सिद्ध करकंडु, दुर्मुख, नेमिराज
और निर्गति (नग्गति) इन चारों का चार खंड में वर्णन है (भी० मा० बम्बई) ५-पोषधविधि-स्तवन- सं० १६६७ मार्ग शु० १० गुरु०. मरोट में । ६-मृगावतीचरित्र-रास. सं० १६६८. मुलतान में। ७-कर्मछत्रीशी. सं० १६६८. माह शु० ६ मुलतान में । ८-पुण्यछत्रीशी. सं० १६६८. सिद्धपुर में। 8-शीलछत्रीशी. सं० १६६६. । प्रत्येक में ३६ कड़ी हैं. १०-संतोषछत्रीशी. ११-क्षमाछत्रीशी. नागौर में।। १२-प्रियमेलकरास. सं० १६७२ मेड़ता में । प्रियमेलक नाम के एक तीर्थ का इसमें माहात्म्य प्रदर्शित करते हुये
कवि ने उत्तम श्रावक कैसे २ उत्तम धर्मकृत्य करके समाधिमृत्यु प्राप्त करता है का दिग्दर्शन कराया है। १३-नलदमयन्तीरास. सं० १६७३. वसंतमास में मेड़ता में । १४-पुण्यसारचरित्र. सं. १६७३ ।। १५-राणकपुरस्वतन. सं० १६७६ मार्गशिर. राणकपुर में। १६-वल्कलचीरीरास. सं० १६८१. जैसलमेर में । १७-मौन एकादशी का बृहत्स्तवन. सं० १६८१. जैसलमेर में। १८-वस्तुपाल तेजपाल का रास. सं० १६८२
तियरीपुर में (प्रकाशित) १६-शत्रुजयरास. सं० १६८२ श्रावण कृ० पक्ष में नागौर में । २०-सीताराम-प्रबंधचौपाई. सं १६८३. मेड़ता में (प्रा० भण्डार में) । २१-बारहव्रतरास. सं० १६८५ । २२-गौतमपृच्छा. सं० १६८६ । २३-थावच्चा चौपाई. सं० १६६१ । २४-व्यवहारशुद्धि चौपाई. सं० १६६३ । २५-चंपक श्रेष्ठिनी चौपाई. सं० १६६५. जाबालिपुर में (प्रा० का० भण्डार में) २६-धनदत्त चौपाई. सं० १६६६. अहमदाबाद में । २७–साधुवंदना. सं० १६९७ (ली. भण्डार में) २८-पापछत्रीशी. सं० १६६८. अहमदपुर में (पूर्णचन्द्रजी नाहर) २६-सुसदरास. (अप्राप्त) ३०-पुण्यादयरास. (र० वि० भण्डार अहमदाबाद में) ३१-पुंजऋषि का रास (१) ३२-आलोयणाछत्रीशी. सं० १६६८ । ३३-द्रुपदीसती सम्बन्ध. सं० १७००।
अतिरिक्त उपरोक्त संस्कृत, गूर्जरभाषा कृतियों के कवि ने अनेक सञ्झाय, स्तवन और छोटे २ पदों की रचनायें की हैं । आपकी विविध कवितायें निम्नवत् हैं:
१. जंबूरास । २. नेमिराजिमतीरास । ३. प्रश्नोत्तरचौपाई । ४. श्रीपालरास । ५. हंसराज-वच्छराजचौपाई । ६. प्रश्नोत्तरसारसंग्रह। ७. पद्मावतीसञ्झाय । ८. चार प्रत्येक बुद्ध पर सं०। ६. पार्श्वनाथ-पंचकल्याणक-स्तवन । १०. प्रतिमा-स्तवन । ११. मुनिसुव्रत-स्तवन ।।
जै० सा० सं० इति० पृ० ५७६ (८४७), पृ०५८८ (८६४), जैनसाहित्य संशोधक अंक ३ खं०२ पृ०१ से १ G. O. S. Vo. no-XXI (जैसलमेर-भंडार की सूची) प्र.पृ०६०,६१