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बण] :: न्यायोपार्जित द्रव्य का सद्व्यय करके जैनवाङ्गमय की सेवा करने वाले प्रामा० सद्गृहस्थ-० गुणराज :: [४१
द्वारा श्री शांतिनाथचरित्र' नामक ग्रंथ को लिखवा कर वि० सं० १५०६ भाषाढ़ शु. २ सोमवार को उनको शर्मित किया । श्रेष्ठि कर्मसिंह के पिता का नाम गोगा और माता का नाम सावित्रीदेवी था तथा पितामह शा० नान नामा
और पितामही राजूदेवी नामा थी। शा० गोगा से शा० पासड़, शा० देन्हा, शा. पेथा क्रमशः बड़े भ्राता थे और शा० डङ्गर छोटा भ्राता था। कर्मसिंह ने अपनी स्त्री लाठीकुमारी, पुत्र बाछा, भ्राता शा० आल्हा भा० नाईदेवी
और भगिनी टरकूदेवी प्रमुख स्वपरिजनों के सहित तपागच्छनायक श्रीमद् सोमसुन्दरसूरि, श्री मुनिसुन्दरमरि, श्रीजयचन्द्रसूरि, श्रीजिनसुन्दरसूरि के पट्टपरंपरागत संप्रति विजयमान श्रीमद् रत्नशेखरसूरि, श्री उदयनंदिसुरि, श्री लक्ष्मीसागरसूरि, श्री सोमदेवसूरिशिष्य पं० रत्नहंसगणि के उपदेश से वि० सं० १५११ में सविस्तार पन्चम्युद्यापन करके 'शांतिनाथचरित्र' की एक प्रति लिखवाई ।।
वंश-वृक्ष शा० नानू [राजूदेवी]
पासड़
देल्हा
पेथा गोगा [सावित्री] इङ्गर
कर्मसिंह [लाठीकुमारी] पान्हा [नाईदेवी] टरकूदेवी
वाछा
श्रेष्ठि पोमराज वि० सं० १५११
उन्नतदुर्गवासी प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० पोमराज ने अपने पुत्र धूला, पुत्रवधु हर्षदेवी और पौत्र अमरादि परिवार के जनों के सहित वि० सं० १५११ चैत्र शु० ११ शुक्रवार को पं० तिष्ठारत्नगणि के उपदेश से श्री 'षडशीतिकावचूरि' नामक ग्रन्थ की एक प्रति लिखवाई ।२
मंत्री गुणराज वि० सं० १५१४
प्राग्वाटज्ञातीय प्रसिद्ध मन्त्रीश्वर केशव की जिनधर्मभक्तिचतुरा स्त्री देमतिदेवी की कुक्षि से उत्पन्न नीति
१-प्र०सं० भा०२ पृ०१६ प्र०६३ (शांतिनाथचरित्र)
२-प्र०सं०भा०२ पृ०१७प्र०६७ (बड़शीतिकावरि)