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साइड ] :: न्यायोपार्जित द्रव्य का सद्व्यय करके जैनवाङ्गमय की सेवा करने वाले प्रा० झा० सद्गृहस्थ-श्रे० बोड़क के पुत्र :: [ ३४१
श्रेष्ठि बोड़क के पुत्र वि० सं० १४१८
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कच्छूलिपुरी में प्राग्वा ज्ञातीय पार्श्व नाम का एक प्रसिद्ध पुरुष था, जिसका पुत्र देसल था । देसल के बहुदेव चन्द्र दो विश्रुत पुत्ररत्न हुये । श्रे० वीरचन्द्र के मालक नाम का अति पुण्यशाली पुत्र था । श्रे० मालक के आस ( धरमराज), गुणधर, सांब और वीर चार प्रतापी पुत्र थे । थे० श्रासधर का पुत्र सोलक हुआ । श्रे० सोलक की स्त्री का नाम सरस्वतीदेवी था । इसके माल्हण, पार्श्वचन्द्र, बूटरोथ, महिचन्द्र और सेढ़क पांच पुत्र हुये थे । श्रे० सेढ़क की स्त्री जसिणीदेवी थी, जिसके राल्हण, सोहड़, आल्हण, पद्मराज, ब्रह्मा और बोड़क छः पुत्र हुये थे ।
० बोड़क की स्त्री का नाम वीरीदेवी था । इसके वीर, धीर, एवं बुद्धिमान् देपाल, देवसिंह, सोम और सलखा नाम के अति प्रसिद्ध चार पुत्र हुये । इन्होंने 'श्री धर्मविधिग्रन्थ' के लिखवाने में अपने द्रव्य से सहायता की ।
माल्हण
बहुदेव
आसधर
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सोलक [सरस्वती ] T
वंश-वृच पार्श्व
I
देसल
I
गुणधर
पार्श्वचन्द्र बूटरोथ
D. C M. P. (G. O. S. Vo. LXXVI.) P. 346 (27),
वीरचन्द्र
1
मालक
I
सांब
वीर
महिचन्द्र सेढ़क [जसिखी]