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:: प्राग्वाट-इतिहास:
[द्वितोय
(8-१०) सिंहद्वार के भीतर जो पहला गुम्बज है, उसमें झूमर की प्रथम पंक्ति में व्याख्यान-सभा का दृश्य है, जिसमें भासनारूढ़ प्राचार्य-मूर्ति, ठवणी और पास में बैठे हुये श्रोता श्रावकगणों की मूर्तियाँ हैं (8)। दूसरा गुम्बज (१०) सिंह-द्वार और उसके भीतर सिंह-द्वार के भीतर देवकुलिकाओं की भ्रमती में पड़ता है। इसमें आर्द्रकुमार-हस्तिप्रतिके दो गुम्बजों का दृश्य बोध का दृश्य है। दृश्य में एक हाथी अपनी सँड और अगले दोनों पैर झुका कर साधु महाराज को नमस्कार कर रहा है । साधु महाराज उसको उपदेश दे रहे हैं। उनके पीछे दो अन्य साधु हैं। कोण में भगवान महावीर कायोत्सर्ग-ध्यान में हैं । हाथी के एक ओर एक मनुष्य और सिंह में मल्ल-युद्ध हो रहा है।
देवकुलिकायें और उनके गुम्बजों में, द्वार-चतुष्कों में, गालाओं में, स्तम्भों में खुदे हुये
___ कलात्मक चित्रों का परिचय
( सिंह-द्वार के दक्षिणपक्ष से उत्तरपक्ष को) दे० कु. १-काचलाकृतियाँ दोनों मण्डपों के वृत्ताकार आधारवलयों में चारों ओर सिंहाकृतियाँ । ,, , २-काचलाकृतियाँ । प्र० मण्डप के प्रथम वलय में नाट्य-प्रदर्शन और द्वितीय वलय में हस्तिदल तथा
द्वि० मण्डप में अश्वदल । ,, ३-काचलाकृतियाँ । प्र० मण्डप में अश्वदल और द्वि० मण्डप में सिंहदल ।
उपरोक्त तीनों देव-कुलिकाओं के मुखद्वार, द्वार-चतुष्क, स्तम्भ और इनके मध्य का अन्तर भाग आदि सर्व अति सुन्दर शिल्पकृति से मण्डित हैं। दे० कु. २, ३ के द्वारों के बाहर के दोनों ओर के दृश्यों (११) में श्रावकश्राविकायें पूजा-सामग्री लेकर खड़े हैं । दे० कु. ४-साधारण । , , ५- , ,, ६–देवकुलिका के बाहर का भाग सुन्दर कोरणी से विभूषित है। मण्डपों की रचना सादी ही है। ,,, ७-प्र० मण्डप की चतुर्भुजाकार आधार-पट्टियों पर बतकों की आकृतियाँ। और द्वि० मण्डप (१२) के नीचे
की पट्टियों में उपाश्रय का दृश्य है । एक ओर दो साधु खड़े हैं और एक श्रावक उनको पंचांग नमस्कार कर रहा है और अन्य तीन श्रावक हाथ जोड़कर खड़े हैं। दूसरी ओर एक साधु कायोत्सर्ग-अवस्था में है। तीसरी ओर एक कोण में आसन पर प्राचार्य महाराज बैठे हैं। एक शिष्य उनकी चरण-सेवा
कर रहा है, एक शिष्य नमस्कार कर रहा है और श्रावक और साधुगण खड़े हैं । ,,, -प्रथम मण्डप (१३) के केन्द्र में समवशरण और चौमुखजी की रचना है। द्वितीय और तृतीय वलयों में
एक-एक व्यक्ति सिंहासनारूढ़ हैं और अवशिष्ट भागों में घोड़े, मनुष्यादि की आकृतियाँ हैं । पूर्वदिशा