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खण्ड ] :: न्यायोपार्जित द्रव्य से मंदिरतीर्थादि में निर्माण-जीर्णोद्धार कराने वाले प्रा०ज्ञासद्गृहस्थ-श्रीसंघमुख्य सीपा :: [२८५
हुआ । जमणादेवी की कुती से हरचन्द नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। हरचन्द की स्त्री का नाम सुखमादेवी था । हरचन्द को सुखमादेवी से धारा, जगा, आणंद और मेघराज नामक चार पुत्रों की प्राप्ति हुई ।
सं० सीपा की सरूपदेवी नामा स्त्री थी । सरूपदेवी की कुक्षी से सं० आशपाल, सं० वीरपाल और सं० सचवीर नामक तीन प्रसिद्ध पुत्र उत्पन्न हुये । सं० आशपाल की जयवंतदेवी नामा स्त्री थी। जयवंतदेवी की कुक्षी सं० सीपा और उसका से आंबा, चांपा और जसवन्त नामक तीन पुत्र हुये । चांपा की स्त्री का नाम उछरंगपरिवार
देवी था । जसवन्त के ऋषभदास नामक पुत्र हुआ । ऋषभदास का विवाह रुखमादेवी से हुआ था । सं० वीरपाल का विवाह विमलादेवी से हुआ था। विमलादेवी के मेहाजल नामक प्रसिद्ध पुत्र हुआ। सं० मेहाजल के मनोरमदेवी, कल्याणदेवी और नीवादेवी नामा तीन स्त्रियाँ थीं। मनोरमदेवी के गुणराज और कल्यादेवी के अति पुण्यात्मा कर्मराज नामक विश्रुत पुत्र पैदा हुये । सं० गुणराज की स्त्री अजबदेवी नामा थी, जिसकी कुक्षी से वीरभाण और राजभाण नामक पुत्र हुये । वीरमाण की स्त्री का नाम जसरूपदेवी था । ___ सं० कर्मराज कर्मा के केसरदेवी और कमलादेवी नामा दो स्त्रियाँ थीं, जिनकी कुक्षी से क्रमशः जइराज और थिरपाल नामक पुत्र हुये । जईराज की स्त्री का नाम महिमा देवी था । सुन्दर प्रस्तर त्रयोमूर्ति निर्मापित श्री चतुर्म खचैत्ये श्री आदिनाथबिंब सयुक्त कारितं प्रतिष्ठितं च श्री तपागच्छधिराज श्री विजयदानसूरीश्वरपट्टालंकार दिल्लीपतिप्रदत्तजगद्गुरुविरुदधारकस्य...... भट्टारिक श्री ६ श्री हीरविजयसूरिभिः । चिरंजयतु ।।'
दशाओसवालों के श्री आदीश्वरनाथ-जिनालय में खेलामण्डपस्थ आदिनाथबिंब का लेखांश'सुरताणाख्येन भार्या गउरिदे पुत्र यादवादि' 'सा० यादव भार्या लाड़िगदे सुत सा. करमचन्द भार्या सुजाणदे सुत सं० मोहन' श्री चौमखाजिनालय की उत्तराभिमुख सशिखर बड़ी दे० कु० में
'संघवी सुलतान भार्या सुवीरदे सुत सं0 जयमल भार्या जमणादे सुत सं० हरचन्दकेन भार्या सुखमादे सुत सं० धारा सं० जगा सं० आणंद सं० मेघराज' १- वायव्यकोण की सशिखर देवकुलिका में दक्षिणाभिमुख शांतिनाथबिंब का लेखांश_ 'सं० आसपाल सुत सं० जसा पुण्यार्थ सं० कर्मा केन ... ........., चौ० जिनालय २- दक्षिणपक्ष की पूर्वाभिमख देवकुलिका सं०३ में महावीरबिंब का लेखांश
'सं० चापा भार्या उछरंगदे पुण्यार्थ सं० कर्माकेन' चौ० जिनालय ३- उत्तरपक्ष की दे० कु० सं०२ में शांतिनाथबिब का लेखांश-- ___ सं० ऋषभदास भार्या रूपमादे नाम्न्या श्री शांतिनाथबिंब' चौ० जिनालय ४-द्वि० मंजिल के गंभारा में पार्श्वनाथबिंब का लेखांश
संवीरपाल भार्या विमलादे सुत सं० मेहाजल भार्या मनोरमदे स्तन० गुणराजकेन चो० जिनालय ५-नैऋत्य कोण की दे० कु० में श्रादिनाथबिंब का लेखांश___ मेहाजल भार्या कल्याणदे सतसं० कर्माकेन' चौ० जिनालय ६- उत्तरपक्ष की दे० कु० में श्री वासुपूज्यबिंब का लेखांश___ ‘स की पुत्र जइराज भार्या महिमा नाम्न्या' चौ० जिनालय ७- दक्षिणपक्ष की दे० कु०३ में धर्मनाथबिंब का लेखांश
'सं० मेहाजल मार्या नीवादे पुण्यार्थ स० कर्माकेन' चौ० जिनालय