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खण्ड] : तीर्थ एवं मन्दिरों में प्रा० ज्ञा० सद्गृहस्थों के देवकुलिका-प्रतिमाप्रतिष्ठादिकार्य--श्री शत्रुजयतीर्थ :: [२६३
तीर्थ एवं मन्दिरों में प्रा०ज्ञा० सद्गृहस्थों के देवकुलिका-प्रतिमाप्रतिष्ठादिकार्य
श्री शत्रुजयमहातीर्थ पर एवं श्रीपालीताणा में प्रा० ज्ञा०
सद्गृहस्थों के देवकुलिका-प्रतिमाप्रतिष्ठादि कार्य
प्रेमचन्द्र मोदी की ट्रॅक में प्र० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० आचार्य प्र० श्रावक अथवा श्राविका और उसका परिवार सं० १३७८ ......... मल० तिलकसरि ठ० वयजल की पुत्री ने सं० १४४६ वै. अजितनाथ- नागेन्द्र० श्रे० सादा ने पिता धणसिंह और माता हांसलदेवी के श्रेयार्थ कृ. ३ सोम. पंचतीर्थी रत्नप्रभसूरि
मोतीशाह की ट्रॅक में सं० १५०३ नमिनाथ तपा० शा० कापा की स्त्री हांसलदेवी के पुत्र झांझण ने स्वस्त्री नागलदेवी, पुत्र ज्ये.शु. ६ जयचन्द्रसूरि मुकुंद, नारद और भ्राता धनराज के श्रेयार्थ जीवादि परिजनों के सहित
पालीताणा के मोती सुखियाजी के जिनालय में सं० १५०३ श्रेयांसनाथ तपा० गणवाड़ावासी श्रे० आमा स्त्री सेगू के पुत्र पर्वत ने स्वस्त्री माई आदि ज्ये. शु. १०.
जयचंद्रसरि. परिजनों के सहित स्वश्रेयार्थ. सं० १५५६ सिद्धचक्रपट्ट ......... म० वछा (वत्सराज) ने आश्विन शु. ८ बुध. सं. १५७१ नमिनाथ- तपा० वीसलनगरवासी श्रे० चहिता की स्त्री लाली के पुत्र नारद की स्त्री नारिंगमाघ कृ.१ सोम. चौवीशीपट्ट - हेमविमलसरि देवी के पुत्र जयवंत ने स्वस्त्री हर्षादेव्यादि परिवारसहित स्वश्रेयार्थ.
. श्रे. नरसिंह-केशवजी के मन्दिर में सं० १६१४ पार्श्वनाथ तपा० दोसी देवराज स्त्री देवमती के पुत्र वनेचन्द्र स्त्री वनदेवी के पुत्र कुधजी वै. शु. २ बुध. धर्मविजयगणि ने पिता के श्रेयार्थ.
श्री गौड़ीपार्श्वनाथ के मन्दिर में सं० १५१५ शांतिनाथ आग० सहयालावासी म० राउल स्त्री राउलदेवी द्वि० हांसलदेवी के पुत्र माघ शु. ५ शनि. पनप्रभसूरि मूलराज ने स्वस्त्री अरखूदेवी, पुत्र भोजा, हांसा, राजा स्त्री भकूदेवी
___ के सुत हीरा, माणिक, हरदास के सहित स्वपूर्वजश्रेयार्थ ....... जै० ले० सं० भा० १ ले० ६८४, ६८६, ६०८, ६४७, ६४६, ६५०, ६५१, ६६०,