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खण्ड ] :: मंत्री भ्राताओं का गौरवशाली गूर्जर-मंत्री-वंश और उनका वैभव तथा साहित्य और धर्म संबंधी सेवायें :: [ १६१
४०००००), तपोवनों में एक लक्ष १०००००), सेरीशपार्श्वनाथ को प्रणाम करके एक लक्ष तेरह सहस्र एक सौ पैंषठ ११३१६५), गोदावरी के तट पर एक लक्ष १०००००), भृगुपुर के जैनप्रासाद में दो लक्ष २०००००) रुपयों का दान-पुण्य किया था। प्रतिदिन एक सहस्र गरीबों को भोजन दिया जाता था। अनेक स्थलों पर ४१६ दुर्ग बनवाये, जिनमें ३२ सुदृढ़ प्रस्तरविनिर्मित थे ।
संघयात्रा की सामग्री निम्नवत् स्थायी रहती थी
शिविर-देवालय बैलगाड़ियाँ सुखासन दन्तरथ संघ-रक्षक सामन्त जैनगायक अन्य गायक
६४ १८०० ७०० २४
५००
संघ के साथ चलने वाले शकट ४५०० (४०००) স্বপ্ন
४००० पालखियाँ ऊँटनियाँ श्रीकर
१६०० सुभट
३३०० नर्तकी
१००
४००० (१)४५० १०००
'येन भूमिवलयेऽश्मनिर्मिताः कारिताः शतमिताः प्रपा पुनः। इष्टिकाविरचिताः शतत्रयी, श्रावलितप्तवारिका ॥५०॥ बङ्गारकेण सहिताश्ममयीमशीतिः श्री स्तम्भतीर्थपुरि तेन कृता कृतिना (रेद्वपलक्षजाता) काराप्य तोरणमसौ सचिवो हजायामस्थापयन्मलिनवैभवकारणेन ॥५१।। वर्षासनाना च सहस्रमेकं, तपस्विना वेदमिताः सहस्रा । दत्ताश्चतुर्विशतिवास्तुकुम्भहेमारविन्दोज्वलाजादराणम् ॥५२॥ अन्ये चैव सत्रागारशतानि सप्त विमलावाप्यश्चतुःषष्टयः, उच्चैः पौषधमंदिराणि शतशो जैनाश्च शैवा मठाः। विद्यायाश्च तथैव पञ्चयतिका: प्रत्येकतः प्रत्यहं, पञ्चत्रिशशतानि जैनमुनयो गृह्णन्ति भोज्यादिकम् ॥५३।। श्रीसंघपूजाखिल संयताना, वर्षम्प्रति त्रिः सहसंघभक्तया । स्नात्रार्थकुम्भाक्षतपट्टसरिसिंहासनाना न हि कापि संख्या ॥५४||
व० च० प्र०८पृ०१३३,१३४ पु•३० सं० २० ते० प्र०१३८)१३६) पृ०६५ वि० ती० कल्प व० ते० प्र० ४२) पृ० ७६
मंत्री भ्राताओं के द्वारा करवाये गये मंदिरों की,वापी, कूप, सरोवरों की तथा प्रतिष्ठित जैन-शैव मूर्तियों की संख्या तथा तीर्थों में, प्रसिद्ध नगरों में जैन-शैव-प्रासादों पर व्यय किये गये अर्थ के अङ्कन-एतद् सम्बन्धी ग्रंथों में एक तथा दूसरे ग्रंथ में के लेखनों से अनेक स्थानों में यद्यपि कम मिलते हैं, फिर भी यह तो अनुमान लग सकता है कि मंत्री भ्राताओं ने जनहितार्थ एवं धर्मार्थ कई कोटि द्रव्य व्यय किया था।
'संघचालता शकटशत ४५००, वाहणिशत १८, सुखासन ७००,पालषी ५००, दंतरथ २४, रक्तसाढि ७००। संघरक्षणाय राणा ४, सीकरि १६०० । श्वेताचर सह०२०००, शत १००, दिगंबर ११००। जैनगायिनि ४००० (१) ४५०, भट्टशत ३३००,