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: प्राग्वाट-इतिहास : .
[द्वितीय
पद्मसिंह के यशोराज, आशराज, सोमराज और सणक नामक चार पुत्र उत्पन्न हुये तथा सोढुका और सोहिणी नामा दो पुत्रियाँ हुई।
पद्मसिंह का ज्येष्ठ पुत्र यशोराज और उसका परिवार ___ श्रे० यशोराज व्यापारनिष्ठ था। सुहवदेवी नामा उसकी पतिपरायणा स्त्री थी। उसके दो पुत्र और दो पुत्रियाँ हुई। ज्येष्ठ पुत्र पृथ्वीसिंह था, उससे छोटी पेथुका नामा पुत्री और प्रह्लादन और कनिष्ठा पुत्री सज्जना थी। ___ज्येष्ठ पुत्री पेथुका का विवाह प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० आसल से हुआ और उसके चपलादेवी, नरसिंह और हरिपाल नामक तीन संतानें हुई। चपलादेवी के राजलदेवी नामा पुत्री हुई । नरसिंह का विवाह नायकीदेवी नामा गुणवती स्त्री से हुआ । नायकीदेवी की कुक्षी से गौरदेवी नामा पुत्री का जन्म हुआ। हरपाल का विवाह माल्हणीदेवी से हुआ, जिसके तिहुणसिंह, पूर्णसिंह और नरदेव नाम के तीन सुन्दर पुत्र और तेजला पुत्री उत्पन्न हुई। ___व्य० तिहुणसिंह का विवाह रुक्मिणी नामा परम रूपवती कन्या से हुआ। इसके लवणसिंह नामक पुत्र और लक्ष्मा नामा पुत्री हुई।
प्रह्लादन प्रह्लादन का विवाह माधला नामा विवेकिनी कन्या से हुआ । श्रा० माधला की कुक्षी से देवसिंह, सोमसिंह नामक दो पुत्र और पद्मला, समला और राणी नामा तीन पुत्रियाँ हुई।
सज्जना ___ यशोराज की कनिष्ठा पुत्री सज्जनादेवी का पाणिग्रहण प्राग्वाटज्ञातीय जगतसिंह नामक एक परम चतुर व्यक्ति से हुआ। सज्जना के मोहिणी नामा एक शीलभंगारविभूषिता परम गुणवती कन्या हुई।
मोहिणी के पुत्र सोहिय और सहजा का परिवार मोहिणी का विवाह रंगानिवासी कटुकराज के साथ हुआ। इसके दो पुत्रियां पूर्णदेवी और उससे छोटी वयजा तथा क्रमशः चार पुत्र सोहिय, सहजा, रत्नपाल और अमृतपाल हुये।
श्रे० सोहिय का विवाह परम सुशीला ललितादेवी और शिलुकादेवी नामा दो कन्याओं से हुआ।
ललितादेवी के प्रीमलादेवी नामा कन्या हुई, जिसका विवाह योग्यवय में प्राग्वाटज्ञातीय जैत्रसिंह नामक युवक के साथ हुआ। प्रीमला के धारावर्ष और मल्लदेव नामक दो पुत्र हुये । मल्लदेव की स्त्री का नाम गौरदेवी था।
शिलुकादेवी की कुक्षी से भीमसिंह, नालदेवी, प्रतापसिंह और विल्हणदेवी इस प्रकार दो पुत्र और दो पुत्रियाँ हुई । प्रतापसिंह का विवाह चाहिणीदेवी नामा गुणवती कन्या से हुआ । सहजा की स्त्री का नाम सुहागदेवी था। सुहागदेवी वस्तुतः शैभाग्यशालिनी स्त्री थी। उसके शीलशालिनी माल्हणदेवी नामा पुत्री हुई । उसने अमृतपाल आदि मातुलजनों को निमंत्रित करके श्री मलधारीगच्छ में साग्रह दीक्षाव्रत ग्रहण किया। . .