________________
६५
कहीं नहीं मिलती । इसलिए युवा होने तक तो यात्रा है उसकी । जब तक कि वह सत्य पाकर युवा नहीं हो गया तब तक वह बच्चा होता है, बड़ा होता है । जैसे वह पहुँच गया उस बिन्दु पर जहाँ सत्य पा लिया जाता है, जो सदा जवान हैं, जो कभी बूढ़ा नहीं होता वैसे ही फिर उसकी यात्रा रुक जाती है । शरीर की तो नहीं रुक सकती, शरीर तो बूढ़ा होगा और मरेगा। लेकिन हम उस तथ्य को इन्कार कर देते हैं और कह देते हैं कि वह तथ्य झूठ है, उसका कोई मतलब नहीं । वह आदमी भीतर जवान है, वह जवान ही रह गया है। वह अब कभी बूढ़ा नहीं होगा ।
: प्रवचन- ३
इसलिए बहुत से इन अद्भुत लोगों की मृत्यु का कोई उल्लेख नहीं है कि वे मरे कब । वह उल्लेख इसलिए नहीं है कि जन्म तक तो बात ठीक है; मरना उसका होता नहीं । तथ्य में तो वे मरे । इसलिए जैसे-जैसे दुनिया ज्यादा त होती गई वैसे-वैसे हमारे पास रिकार्ड उपलब्ध होने लगा । जैसे महाबीर का रिकार्ड है हमारे पास कि वह कब मरे । लेकिन ऋषभ का नहीं है रिकार्ड उपलब्ध | दुनिया और भी मिथ के ज्यादा करीब थी । अभी लोष तथ्य पर जोर ही नहीं दे रहे थे। राम का कोई रिकार्ड नहीं है कि वह कब मरे । इसका कारण यह नहीं कि वह नहीं मरे होंगे। जिन्होंने सारी जिन्दगी की कहानी लिखी, वे एक बात पर चूक गए जो कि बड़ी भारी घटना रही होगी भरने की । यानी जन्म का सब ब्योरा लिखते हैं, बचपन का ब्योरा लिखते हैं, विवाह है, लड़ाई है, झगड़ा है, सब आता है, सब जाता है । सिर्फ एक बात चूक जाती है कि आदमी गए कब ? नहीं, मिथ उसको इन्कार कर देते हैं। वह कहते हैं ऐसा आदमी मरता नहीं। ऐसा आदमी परम जीवन को उपलब्ध हो जाता है । इसलिए मृत्यु की बात ही मत लिखो। इसलिए इस मुल्क में हम जन्मदिन मनाते हैं । पश्चिम में मृत्युदिन । पश्चिम में जो मरने का दिन है वह बड़ी कीमत रखता है । और उसका कारण है क्योंकि हम जन्म को स्वीकार करते हैं । हम मृत्यु को इन्कार ही कर देते हैं। पश्चिम में जन्म जितना स्वीकृत है, मृत्यु उससे ज्यादा स्वीकृत है क्योंकि जन्म तो पहले हो चुका है, मृत्यु तो बाद में हुई है । जो बाद में हुआ है ज्यादा ताजा है, ज्यादा कीमती है। जन्मदिन की ही बात किए चले जाते हैं और उसका कारण है कि हम जन्म को तो मानते हैं मृत्यु को नहीं । जीवन है; मृत्यु नहीं ।
ये सारे तथ्य अगर तथ्य की तरह पकड़े जाएं तो कठिनाई हो जाती है । उतर जाएं और इनके मिश्र को जो गुप्त
लेकिन अगर हम इनकी गहराई में