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प्रश्नोत्तर-प्रवचन-४ . गए मालूम पड़ते हैं। उनके गैर ऐतिहासिक हो जाने का और कोई कारण नहीं है। वे बिल्कुल ऐतिहासिक व्यक्ति थे; लेकिन आध्यात्मिक लोक में उनके अन्तिम सम्बन्ध का सूत्र भी ची हो जाने के कारण अब उनसे कोई सम्बन्ध स्थापित नहीं किया जा सकता। महावीर से अभी भी सम्बन्ध स्थापित हो सकता है और इसीलिए महावीर अन्तिम होते हुए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हो गए उस धारा में । पुर से अभी भी सम्बन्ध स्थापित किया जा सकता है। जीसस से अभी भी सम्बन्ध स्थापित किया जा सकता है । कृष्ण से अभी भी सम्बन्ध स्थापित किया जा सकता है। हमें अढ़ाई हजार वर्ष बहुत लम्बे मालम पड़ते हैं क्योंकि हमारा कालमान बहुत छोटा है। शरीर से छूट जाने पर अढ़ाई हजार वर्ष ऐसे हैं जैसे क्षण गुजरा हो । मुहम्मद से अभी भी सम्बन्ध स्थापित हो सकता है।
इसलिए जिन परम्पराओं के शिक्षकों से अभी सम्बन्ध स्थापित हो सकता. है, वे फैलती-फूलती हैं। जिन परम्पराओं के शिक्षकों से अब कोई सम्बन्ध स्थापित नहीं हो सकता वह एकदम सूखकर नष्ट हो जाती हैं । किन्तु उनका मूल स्रोत से सम्बन्ध नहीं टूट जाता। और इसलिए नए शिक्षक जीतते हुए मालूम पड़ते हैं, पुराने शिक्षक हारते हुए मालूम पड़ते हैं। अब यह बड़ी हैरानी की बात है कि महावीर से पहले तेईसवें तीर्थंकर को ज्यादा वक्त नहीं हुआ, अढ़ाई सौ वर्ष का ही फासला है लेकिन उस तीर्थकर से भी सम्बन्ध स्थापित करना मुश्किल हो गया है। इसलिए उस तीर्थकर के निकट जाने वालों को महावीर के पास आ जाना पड़ा। लेकिन एक बुनियादी विरोध भीतर छूट गया जिसने पोछे परम्पराओं को दो खंडों में तोड़ने में हाथ बटाया। क्योंकि मूलतः जो शिक्षक पार्श्व से सम्बन्धित थे उनका प्रेम, उनका समर्पण और उनका द्वार पावं के प्रति खुला था। लेकिन, चूंकि पार्श्व खो गए बहुत जल्दी और उनसे कोई सम्बन्ध स्थापित करना सम्भव न हुआ इसलिए महावीर के पास वे आए। लेकिन उनका मन, उनका धन, उनका व्यक्तित्व पार्श्व के अनुकूल था। इसलिए दो धाराएं फौरन टूटनी शुरू हो गई। वह आ गए पास लेकिन भेद रहे।
किसी ने पूछा है कि एक ही समय में दो तीर्थकर क्यों नहीं होते। एक परम्परा में, एक ही समय में दो तीर्थकर नहीं होते। इसका कारण यह है कि अगर एक तीर्थकर काम कर रहा है उस परम्परा का तो दूसरा तत्काल विलीन हो जाता है। उसकी कोई जरूरत नहीं होती। जैसे एक ही कक्षा में, एक ही । समय में दो शिक्षकों की कोई जरूरत नहीं होती। उससे सिर्फ बाषा ही पैदा होगी और कुछ भी न होगा । एक उपद्रव ही होगा कि एक ही कक्षा में दो चार शिक्षक एक ही पीरिया में उपस्थित हो जाएं। उसकी वजह से सिर्फ संघर्ष