Book Title: Mahavira Meri Drushti me
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Jivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai

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Page 611
________________ महावीर मेरी दृष्टि में वासना शेष रह जाती है कि यह मानन्द दूसरों को भी उपलब्ध हो पाए और वह भी एक तीव्र भाव है, हालांकि वह भी चुनाव है। तो जरूरी नहीं कि सभी शिक्षक वापिस लौटें। इसलिए मैंने कहा कि यह मौज की बात है कि कोई सीधा चुपचाप विलीन हो सकता है मोक्ष में, कोई ठिठक जाए, वापिस लौट आए। हालांकि वह भी एक जन्म, दो जन्म के बाद विलीन हो जाएगा कहीं लेकिन वह अन्तिम उपाय कर सकता है । यह भी अज्ञान का ही हिस्सा है बहुत गहरे में, क्योंकि अगर पूर्ण ज्ञान हो तो यह बात भी खत्म हो जाने वाली है। जो जा रहा है, अपनी-अपनी स्वतंत्रता है, अपनी-अपरी यात्रा है । लेकिन वैसा पूर्ण ज्ञानी हमें कठोर मालूम पड़ेगा। क्योंकि राह चलता अगर कोई प्यासा पड़ा है तो शायद उसको पानी भी न दे। क्योंकि वह कहेगा, अपनी-अपनी यात्रा है। हालांकि वह तुम्हें कठोर मालूम पड़ेगा। तो अपनी-अपनी यात्रा है। त्याग भी तुम्हारा चुनाव है, तुमने जो पीछे किया, जैसे जो हुआ, जैसे तुम चले, वैसे तुम पहुंचे। जब तक जरा सी भीण मात्मा है विशेष करुणा की जरूरत होगी और तब तक व्यक्तित्व रहेगा। पूर्ण वासना निषेष होने पर ही व्यक्तित्व विलीन हो जाता है। तो पूर्ण जैसा व्यक्ति तुम्हें बहुत कठोर मालूम होगा। यानी शायद हम समझ ही न पाएं कि यह आदमी कैसा है ? कोई बादमी कुएं में डूब कर मर रहा होगा वो वह खड़ा देखता रहेगा। अपनी-अपनी यात्रा है, अपना-अपना चुनाव है। इसको पकड़ना मुश्किल हो जाएगा, इसको पहचानना मुश्किल हो जाएगा। कोई आदमी आग में हाथ गल रहा होगा तो वह खड़ा देखता रहेगा कि अपना-अपना अनुभव है, अपना-अपना ज्ञान है; आग में हाथ डालोगे तो अनुभव होगा कि हाथ जलता है; तो मैं कह कर क्यों व्यर्थ बात कह ? मेरे कहने से कुछ होगा नहीं; तुम जब हाय गलोगे, तभी तुम जानोगे। और अगर बिना हाथ डाले तुमने जान किया तो हो सकता है कि और कष्ट में तुम पड़ जाओ। क्योंकि मैं तुम्हें कह दूं कि भाग में डालने से हाप जलता है और तुम मान जाओ लेकिन तुम्हारा अनुभव न हो, कल तुम्हारे घर में आग लग जाए और तुम सोचो कि कौन जलता है तो जिम्मेदार कौन होगा? यानी में ही हूँगा? इससे तो अच्छा होता कि तुम हाथ गल लेते और जल जाते, कल तुम्हारे घर में भाग लगती तो तुम निकल कर बाहर हो जाते क्योंकि तुम्हारा अनुभव काम करता। अपना अनुभव ही काम करता है। और इसलिए व्यक्तित्व के विदा होने की जो अन्तिम बेला होगी उस वेला में करुणा प्रकट होगी। यह ऐसे ही है जैसे

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