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प्रस्तोतस्प
न-२५
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असम में हम सोच भी कैसे सकते हैं कि दूसरा व्यक्ति कैसा है। हम सिर्फ कामना कर सकते है कि ऐसा हो। लेकिन हमारी कामनाओं के अनुकूल किसी व्यक्ति का जन्म नहीं हुवा है। व्यक्ति का जन्म उसकी अपनी कामनाबों के अनुकूल हुआ है। कोई किसी दूसरे व्यक्ति की इच्छाओं के अनुकूल पैदा नहीं हुआ है । प्रत्येक व्यक्ति अपनी इच्छाओं के अनुकूल पैदा हुआ है। लेकिन हमने अपनी इच्छाएं आरोपित की थीं। वे मिलते ही खंडित हो जाएंगी और वह व्यक्ति प्रकट होगा जैसा हमने उसे कभी नहीं जाना था और जितने हमने सपने जोड़े थे वास्तविकता उन सबको तोड़ देगी, एक-एक चीज़ में तोड़ देगी।
फिर मैंने चाहा था कि व्यक्ति पूरा मिल जाए। यानी मैं कहूँ रात तो वह कहे रात, मैं कई दिन तो वह कहे दिन । यह इच्छा कभी पूरी नहीं होगी। बोर मजे की बात यह है कि उसने भी यही कामनाएं की थीं कि मैं कहूँ रात तो वह कहे रात और में कई दिन तो वह कहे दिन । दोनों के प्रेम की कसौटो यही थी। तब बड़ी मुश्किल हो गई बात क्योंकि आप भी उससे कहलवाना चाहते हैं, वह भी आपसे कहलवाना चाहता है । सोचा था शान्ति, होगा संघर्ष; सोचा था सुख, और होगा विषाद । लेकिन मजे की बात यह है कि यह तो इसलिए.हो रहा है कि मैंने जो चाहा था वह नहीं हो सका है। मैंने कहा था रात और चाहा था कि वह भी कहे रात । यह नहीं हो सका, इसलिए मैं दुःखी हूँ। इच्छा के कारण दुखी नहीं हूँ। ठोक व्यक्ति नहीं मिला, इच्छा पूरी नहीं हुई, इसलिए मैं दुखी हूँ। पूरी हो जाए तो मैं सुखी हो जाऊं। लेकिन कोई दूसरा व्यक्ति मिल जाए जो तुम कहो रात तो वह भी कहे रात हालांकि दिन हो । तुमने उसके पैर में जंजीरें बाँधी तो भी तुमने कहा आभूषण, उसने कहा माभूषण । तुमने उस व्यक्ति को पाया कि वह तुम्हारे बिल्कुल हो अनुकूल है, तुम जैसे हो वैसा ही है-तुम्हारी छाया । और ऐसे व्यक्ति को पाकर तुम्हें जितना दुःख होगा उसका अनुमान तुम लगा ही नहीं सकते क्योंकि वह व्यक्ति हो। नहीं होगा, वह एक मशीन होगा, वह एक यंत्र होगा। उसमें कोई व्यक्तित्व नहीं होगा, उसमें कोई आत्मा नहीं होगी और जिस व्यक्ति में कोई व्यक्तित्व नहीं होगा, कोई बात्मा नहीं होगी उससे क्या तुम प्रेम कर पायोगे ? उससे तुम एक पण प्रेम नहीं कर सकते। यह इच्छा पूरी हो जाए तो इतमा पुल होगा जितना इच्छा के न पूरी होने से कमी भी नहीं हुआ है। कोई भी या महीं खरीदना चाहता । हम भ्यक्ति चाहते है मेकिन हमारी इन्चा बड़ी बनून है।हम ऐशक्ति पाहते है जो हमारी पात माने। ल दोनों बातों में कोई