Book Title: Mahavira Meri Drushti me
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Jivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai

View full book text
Previous | Next

Page 660
________________ परिशिष् ofe अगर तुम नहीं बदले । अम्बेडकर के विरोध में गांधी जी ने अनशन किया । अम्बेडकर शुक गया। लेकिन बाद में अम्बेडकर ने कहा कि गांधी जी इस भूक में न पड़े कि मेरा हृदय बदल गया है। मैं सिर्फ यह सोचकर कि मेरे कारण गांधीजी जैसा आदमी न मर जाए, पीछे हट गया है। और गांधीजी अपने पूरे जीवन में एक आदमी का भी हृदय परिवर्तन नहीं कर पाए । असल में, हिंसा से हृदय परिवर्तन हो ही नहीं सकता। हिंसा दमन है, दवाव है, जबरदस्ती है। हाँ, जबरदस्ती दो ढंग की हो सकती है। मैं आपको मारने की धमकी दूँ, तब भी जबरदस्ती है और मैं अपने को मारने की धमकी हैं, तब भी जबरदस्ती है। गौर मेरी दृष्टि में दूसरी जबरदस्ती ज्यादा खतरनाक है। पहली जबरदस्ती में आपके पास उपाय भी है सीधा सिर खड़ा करके लड़ने का । दूसरी जबरदस्ती में मैं आपको निःशस्त्र कर रहा हूँ, आपका नैतिक बल मी छीन रहा है, आपको दवा भी रहा हूँ । अहिंसा अगर हिंसा के भीतर रहते साधी जाएगी तो ऊपर अहिंसा हो जाएगी, भीतर हिंसा मोजूद रहेगी। क्योंकि अहिंसा और हिंसा विरोधी चीजें नहीं हैं । गांधी जी के ख्याल में अहिंसा और हिंसा विरोधी चीजें है । अहिंसा को साधो तो हिंसा खत्म हो जाएगी । लेकिन कोन साधेगा अहिंसा को ? हिंसक आदमी साधेगा तो अहिंसा भी साधन बनेगी उसकी हिंसा का । वह फिर अहिंसा से वही उपयोग लेना शुरू कर देगा जो . उसने तलवार से लिया होगा । पूछा जा सकता है कि महावीर ने जिन्दगी भर सत्याग्रह क्यों नहीं किया ? पूछा जा सकता है कि महावीर ने किसी को बदलने का आग्रह क्यों नहीं किया ? सच तो यह है कि सत्याग्रह शब्द ही बेहूदा है । सत्य का कोई आग्रह नहीं हो सकता क्योंकि जहाँ आग्रह है, वहाँ सत्य कैसे टिकेगा ? आग्रह असत्य का ही होता है । सब सत्याग्रह असत्य आग्रह है । कैसे सत्य का आग्रह हो सकता है ? महावीर कहते है कि सत्य का आग्रह भी किया तो हिंसा शुरू हो गई क्योंकि अगर मैंने यह कहा कि जो मैं कहता है वही सत्य है तो मैंने हिंसा करनी शुरू कर दी। मैंने दूसरे व्यक्ति को चोट पहुंचानी शुरू कर दी । इसलिए महावीर सत्य का आग्रह भी नहीं करते। इसी से उनके स्यात् उनके अनेकान्त की धारणा का जन्म हुआ है । की कल्पना है, इसी से एक छोटो सो कहानी समझाना चाहूँगा । गांव में एक क्रोषी आदमी है जिसके क्रोध ने चरम स्थिति ले ली है। उसने अपने बच्चे को कुएं में पक्का 48

Loading...

Page Navigation
1 ... 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671