Book Title: Mahavira Meri Drushti me
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Jivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai

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Page 662
________________ परिशिष्ट-१. ७७१ की बात करते रहे । मित्र ने संन्यासो से फिर वही प्रश्न किया। संन्यासी का हाय डंडे पर गया । उसने कहा : बहरे तो नहीं हो, बुर्मिहीन तो नहीं हो ? कितनी बार कई कि मेरा नाम है शांतिनाप । मित्र थोड़ी देर चुप रहा । कुछ और बात चलती रही आत्मा परमात्मा की। फिर उसने पूण किक्षमा करिए । आपका नाम क्या है ? फिर माप सोच सकते हैं क्या हुआ? वह रंग उस मित्र के सिर पर पड़ा। उसने कहा कि तुझे समझ नहीं पड़ता कि मेरा नाम क्या है ? मित्र ने कहा कि अब मैं पूरी तरह समझ गया। यह पता लगाने के लिए तीन बार नाम पूछा है कि आदमी भीतर बदला है या नहीं बदला है। अहिंसा काटों पर लेट सकती है, भूख सह सकती है, शीर्षासन कर सकती हैं, आत्म-पीड़ा बन सकती है अगर भीतर हिंसा मौजूद हो। दूसरों को भी दुःख और पीड़ा का उपदेश दे सकती है। हिंसा मीतर होगी तो वह इस तरह के रूप लेगी, खुद को सताएगी, दूसरों को सताएगी और इस तरह के ढंग खोजेगी कि ढंग अहिंसक मालूम होंगे लेकिन भीतर सताने की प्रवृत्ति परिपूर्ण होगी। असल में अगर एक व्यक्ति अपने अनुयायी इकट्ठा करता फिरता हो तो उसके अनुयायी इकट्ठा करने में और हिटकर के लाखों लोगों को गोली मार देने में कोई बुनियादी फर्क नहीं है। असल में गुरु भी मांग करता है अनुयायी से कि तुम पूरी तरह मिट जाबो, तुम बिल्कुल न रहो, तुम्हारा कोई व्यक्तित्व न बचे । समर्पित हो जाबो पूरे । अनुयायी की मांग करने वाला गुरु भी व्यक्तित्व को मिटाता है बम ढंगों से, पॉछ देता है व्यक्तियों को। फिर सैनिक रह जाते है जिनके भीतर बात्मा समास कर दी गई है। हिटलर जैसा बारमी सीषा गोली मार कर शरीर को मार देता है। .. पूछना परी है कि शरीर को मिटा देने वाले ज्यादा हिंसक होंगे या फिर बात्मा को, व्यकित्व को मिटा देने वाले ज्यादा हिंसक होते है ? कहना मुश्किल है। लेकिन विताई तो यही पड़ता है कि किसी के शरीर को मारा जा सकता है पौर हो सकता है किपकि बच पाए। तब मापने कुछ भी नहीं मारा । और यह भी हो सकता है कि परीर पर बाए बोर व्यक्ति भीतर मार मला जाए तो बापने सबमार मला । अपर मोतर हिंसा हो, ऊपर हिंसा हो तो दूसरों को मारने की, बाने की नई-नई तरकीबें सोजी पाएंगी बौर तरकीबें खोजी बाती है। यह भी हो सकता है कि एक मामी सिर्फ इसीलिए एक तरह का परिष बनाने में बनाए कि उस परिष के माध्यम से यह किसी को पता सकतामा पॉट सकता है बार में पवित्र है म सन्त, मला :-सकी

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