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महावीर मेरी में
जो शेष रह गया है वह अपरिग्रह है । कोई चोरी छोड़ेगा तो सिर्फ छोड़ा हुआ चोर होगा । इससे ज्यादा कुछ भी नहीं हो सकता । भीतर बोरी जारी रहेगी । हाथ-पांव बांध लेगा, रोक लेगा अपने को छाती पर पत्थर रखकर कि चोरी नहीं करनी लेकिन भीतर चोर होगा । कोई चोरी करने से थोड़ी ही चोर होता है । लेकिन अगर कोई जागेगा और चोरी बिदा हो जाएगी तो अचीर्य शेष रहा जाएगा । अहिंसा, अचौर्य, अपरिग्रह नकारात्मक है । क्योंकि कुछ बिदा होगा तो कुछ शेष रह जाएगा ।
हमें पता ही खुल जाए तो
और यह बड़े मजे की बात है कि अगर हिंसा बिदा हो जाए, परिग्रह विदा हो जाए, चोरी बिदा हो जाए- अगर यह तीनों बिदा हो जाएं तो अहिंसा, अचौर्य और अपरिग्रह की जो वित्तदशा होगी उसमें सत्य का उदय होगा । इन तीन के विदा होने पर सत्य का अनुभव होगा। ये द्वार बन जाएंगे और सत्य दिखाई पड़ेगा | सत्य को कोई खोज नहीं सकता। नहीं कि वह कहाँ है । हम उस स्थिति में आ जाएँ जहाँ द्वार सत्य दिखाई पड़ेगा । सत्य होगा इन तीन के द्वार से उपलब्ध अनुभव और ब्रह्मचर्य होगा उसकी अभिव्यक्ति । वह जो सत्य मिल गया उस जीवन के सब हिस्सों में प्रकट होने लगेगा | ब्रह्मचर्य का अर्थ है ब्रह्म जैसी चर्या, ईश्वर जैसा आचरण । ये तीन बनेंगे द्वार और टीम में अहिंसा सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। क्योंकि जिस आदमी की हिंसा बिदा हो गई है, वह चोरी कैसे करेगा ? क्योंकि चोरी करने में हिंसा है और जिस आदमी की हिंसा बिदा हो गई है, वह कैसे संग्रह करेगा, क्योंकि, सब संग्रह के भीतर चोरी है । इसलिए अगर हम बाकी बो को बिदा भी कर दें वो तीन बातें रह जाती है : अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य। अहिंसा के दो हिस्से हैंअचौर्य, अपरिग्रह |
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अहिंसक चित्त में सत्य का अनुभव होगा और ब्रह्मचर्य उसका आचरण होगा । लेकिन यह अहिंसा समाधि से, ध्यान से उपलब्ध होती है । आप कह सकते हैं कि बहुत से ध्यांनी लोग हुए हैं जो अहिंसक नहीं है । जैसे, रामकृष्ण जैसा व्यक्ति भी मांसाहारी है । रामकृष्ण मछली खाते हैं और विवेकानन्द भी । तो विचार होता है कि रामकृष्ण जैसा व्यक्ति भी अगर ध्यान को, समाधि को मुक्त नहीं होता है तो मामला क्या है ? मेरी दृष्टि में उस ध्यान से गुजरने पर ही अहिंसा की उपलब्धि का ध्यान है । ओर रामकृष्ण का जो ध्यान है, वह जायने का नहीं, सो जाने का, मूडित हो जाने का ध्यान है। रामकृष्ण का ध्यान
उपलब्ध होकर मछलियों से महावीर का जो ध्यान है, हो सकती है । 'वह जागने