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समाप-
प्रल-२६
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कोशिश करे। यह जरूरी नहीं कि उनका जो स्याल होगा, वह मुझसे मेल खाए। मेल खाने की कोई जरूरत भी नहीं है । लेकिन अगर इतने निष्पक्ष भाष से मेरी बातों को समझा गया तो जो भी व्यक्ति इतने निष्पक्ष भाव से समझेगा, उसे महावीर को समझने की बड़ी अद्भुत कुशलता उपलब्ध होगी। मगर उसने बहुत गौर से समझा है तो वह महावीर को ही नहीं, बुर को भी, मुहम्मद को भी, कृष्ण को भी समझने में इतना ही समर्ष हो जाएगा।
इतिहास को बाहर से दिखाई पड़ता है, लिखा जाता है। और जो बाहर से दिखाई पड़ता है, वह एक अत्यन्त छोटा पहल होता है। इसलिए इतिहास बड़ी सच्ची बातें लिखते हुए भी बहुत बार असत्य हो जाता है। वर्क नाम का एक इतिहास कोई पन्द्रह वर्षों से विश्व इतिहास लिख रहा था। दोपहर की बात है कि घर के पीछे शोर-गुल हुबा, दरवाजा खोलकर वह पीछे गया। उसके मकान के बगल से गुजरने वाली सड़क पर झगड़ा हो गया था। एक बादमी की हत्या कर दी गई थी। बड़ी भीड़ थी, सैकड़ों लोग इकट्ठे थे। आंखों देखे गवाह मौजूद थे और वह एक-एक भावमी से पूछने लगा कि क्या हुमा । एक आदमी कुछ कहता है, दूसरा कुछ कहता है. तीसरा कुछ कहता है। आंखों देखे गवाह मौजूद है। लाश सामने पड़ी है, खून सड़क पर पड़ा हुआ है । अभी पुलिस के माने में देर है । हत्यारा पकड़ लिया गया है। लेकिन हर आदमो अलग-अलग बात करता है। किन्हीं दो आदमियों की बातों में कोई ताल-मेल नहीं कि क्या हुआ ? सगड़ा कैसे हुआ? कोई हत्यारे को जिम्मेदार ठहरा रहा है, कोई मृतक को जिम्मेदार ठहरा रहा है, कोई कुछ कह रहा है और कोई कुछ रहा है। वे सब आंखों देखे गवाह है। बर्फ खूब हंसने लगा। लोगों ने पूछा, आप किसलिए हंस रहे हैं। आदमी की हत्या हो गई है। उसने कहा कि मैं और किसी कारण से हंस रहा है। अन्दर माया और वह पन्द्रह वर्षों की जो मेहनत यो उसमें आग लगा दी और अपनी डायरी में लिखा कि में हजारों साल पहले की घटनाओं पर इतिहास लिख रहा हूँ। मेरे घर के पीछे एक घटना घट गई है जिसमें चश्मदीद गवाह मौजूद है। फिर भी किसी का वक्तव्य मेल नहीं खाता। हजार-हजार साल पहले जो घटनाएं घटीं उनके लिए किस हिसाब से हम माने कि क्या हुबा, क्या नहीं हुमा, कोन सही है कौन सही नहीं। कहना मुश्किल है। बर्क ने लिखा है कि इतिहास भी एक कल्पना हो सकती है अगर हमने बहुत अमर से पकड़ने की कोशिश की।