Book Title: Mahavira Meri Drushti me
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Jivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai

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Page 613
________________ महावीर :मेरी दृष्टि एक गांव में तीन बार गुजरे जीवन में। तो गांव में एक आदमी पा जो अपनी दूकान पर बैठा रहा। लोगों ने उससे कहा कि पुख बाप है। उसने कहा कि अभी तो बहुत ग्राहक है, दुबारा जब पाएंगे तब सुन लूंगा। मुख तीन बार उस गांव से गुजरे । आखिर पुट भी क्या कर सकते है, कितनी बार उस गांव से गुजर सकते हैं ? बुद्ध की सीमा है और गांव भी बहुत है। और युद्ध भी क्या कर सकते हैं ? अगर ग्राहकी चलती हो रहे और वह कहे मान तो बहुत काम है, दुवारा जब भाएंगे तब देखा जाएगा। फिर बुद्ध दुबारा उस गांव में नहीं पाते । लेकिन एक दिन उस गांव से खबर आती है कि पड़ोस के गांव में बुद्ध का अन्तिम दिन है, लोग इकट्ठे हो रहे हैं । वे मरने के करीब हैं और उन्होंने कह दिया कि जल्दी हो डूब जाएंगे, बस्त हो जाएंगे, जिन्हें जो पूछना हो, भागो। उस आदमी ने दूकान बन्द की, शायद दूकान भी बन्द नहीं कर पाया। घर के लोगों ने कहा : क्या करते हो, अभी बहुत वक्त है, अभी काम है, अभी दूकान पर काफी लोग हैं। उसने कहा, वह तो ठीक है, लेकिन फिर उस आदमी से मिलना नहीं हो पाएगा। वह बादमी भागता हुआ दूसरे गांव गया। वहां लोग इकट्ठे थे। बुद्ध ने उनसे पूछा : तुम्हें कुछ और पूछना है ? उन सब ने कहा कि हमने इतना पूण और इतना जाना कि अब कुछ भी पूछने को नहीं है, अब तो करने को है कि हम कुछ करें। तो बुद्ध ने कहा कि फिर मैं विदा लूं। तीन बार उन्होंने पूछा जैसी कि उनकी मावत थी। लोगों ने कहा : कुछ भी नहीं पूछना, अब क्या पूछने को है ? तब बुद्ध ने कहा कि मैं विवायूँ और वृक्ष के पीछे चले गए। ध्यान में बैठे और डूबने लगे। तब वह आदमी भागा हुमा पहुंचा। तब उसने कहा कि बुद्ध कहाँ है ? लोगों ने कहा चुप, अब बात मत करना। अब वह वृक्ष के पीछे चले गए हैं। अब वह शान्ति से अपने में उतर रहे है, वापिस दूब रहे हैं, व्यक्तित्व छोड़ रहे है, निर्वाण में जा रहे है। उस बादमी ने कहा : मेरा क्या होगा ? क्योंकि मैं चूक ही गया है, उनसे कुछ पूछना था । लोगों ने कहा, पागल हो गए हो। चालीस साल से इसी इलाके में वह पक्कर लगाते थे तब तुम कहां थे? उसने कहा तब दूकान पर बहुत भीड़ थी। भीड़ तो बाज भी पी। लेकिन तब मैंने समझा था सूरज उग रहा है। तब मुझे यह ध्यान न पा कि डूबने का वक्त भी आ पाएगा। पर मुझे पूछना है, देर मत करो क्योंकि सूरज तो वा पा रहा है। लेकिन कोगों ने कहा कि तुम जोर से बावाब मत करना, नहीं तो वह इतने करणावा है कि वापिस लोट सकते है। लेकिन मी पूर्व

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