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महावीर : मेरी दृष्टि में
समझें तो सारे विकास को हम स्वतन्त्रता के हिसाब से नाप सकते हैं और इसलिए मेरा निरन्तर जोर स्वतन्त्रता पर है। कोई व्यक्ति जितनी स्वतन्त्रता अजित करे जीवन में उतना चेतना की तरफ जाता है और स्वतन्त्रता बहुत प्रकार की है : गति की स्वतन्त्रता, विचार की स्वतन्त्रता, कर्म को स्वतन्त्रता, चेतना की स्वतन्त्रता । यह जितनी पूर्ण होती चली जाती है उतना मोक्ष की तरफ बढ़ा जा रहा है । कर्म की भाषा में कहें तो जीवन मुक्त होने की तरफ जा रहा है । जितना हम नीचे जाते हैं उतना हम अमुक्त हैं। पत्थर कितना अमुक्त है। एक ठोकर आपने मार दी तो कुछ भी नहीं कर सकता, प्रतिक्रिया भी नहीं कर सकता । जहाँ पड़ गया वहीं पड़ गया। कोई उपाय नहीं हैं उसके पास । सबसे ज्यादा वद्ध अवस्था में है वह । महावीर प्रबुद्ध आत्मा हैं, मुक्त आत्मा हैं।
प्रबुद्ध होने से मुक्त होने तक की यात्रा में कई तल हैं। तो मोटो सीढ़ियां बाँट ली है हमने लेकिन सब सीढ़ियों पर अपवाद हैं। जैसे समझ लें पचास सीढ़ियाँ हैं और आदमी चढ़ रहे हैं। कोई आदमी पहली सीढ़ी पर खड़ा है, कोई दूसरी सीढ़ी पर खड़ा है। पहली सीढ़ी से उठ गया है लेकिन अभी दूसरी सीढ़ी पर पैर रखा नहीं है, अभी बीच में है। कोई आदमी तीसरी सीढ़ी पर खड़ा है । कोई आदमी दूसरी से पैर उठा लिया है, तीसरी पर अभी रखा नहीं है। इस तरह स्थूल रूप में देखें तो हमको ऐसा लगता है कि पत्थर है, पौधा है। कुछ पत्थर पौधे की हालत में पहुंच रहे हैं। कुछ पत्थर बिल्कुल पौधे जैसे हैं। उनकी डिजाइन, उनके पत्ते, उनकी शाखाएं बिल्कुल पौधे जैसी हैं। वे पौधे की तरफ बढ़ रहे हैं। कुछ पौधे बिल्कुल पशुओं जैसे हैं। कुछ पौधे अपना शिकार भी खोजते हैं। पक्षी उड़ रहा है आकाश में तो वे चारों तरफ से पत्ते बन्द कर लेते हैं और फांस लेते हैं उसे । कुछ पौधे प्रलोभन भी डालते हैं। अपनी कलियों पर बहुत मोठा, बहुत सुगंधित रस भर लेते हैं ताकि पक्षी आकर्षित हो जाएं और ज्योंही पक्षी उस पर बैठते हैं कि चारों तरफ के पत्ते बन्द हो जाते हैं। कुछ पौधे अपने पत्तों को पक्षियों के शरीर में प्रवेश कर वहाँ से खून खींच लेते हैं। वे पौधे अब पौधे की हालत में नहीं रहे। वे पशु की तरफ गति कर रहे हैं। कुछ पश मनुष्य की तरफ गति कर रहे हैं। बहुत से कुत्तों में, घोड़ों में, हाथियों में, गायों में, मनुष्य जैसी बातें दिखाई पड़ती हैं। जिन-जिन जानवरों से मनुष्य सम्बन्ध बनाता है, उन-उन जानवरों से सम्बन्ध बनाने का कारण ही यही है। सभी जानवरों से मनुष्य सम्बन्ध नहीं बनाता।